देहरादून (विसंके) 24 फरवरी : राज्य सभा सांसद डा. राकेश सिन्हा ने आज कहा कि भारतीय लोकतंत्र के सामने व्यक्तिवाद, जातिवाद, क्षेत्रवाद व साम्प्रदायिकता सबसे बड़ी चुनौती है। व्यक्तिवाद के कारण लोकतंत्र व्यक्ति विशेष का बंधक बन जाता है जो न समाज हित में और न ही देश हित में। डा. सिन्हा ए.एम.एन. घोष सभागार (ओ.एन.जी.सी.) में विश्व संवाद केन्द्र द्वारा आयोजित ‘लोकतंत्र के समक्ष उपस्थित चुनौतियां’ विषय पर एक कार्यक्रम को मुख्य वक्ता के रूप में सम्बोधित कर रहे थे। डा. राकेश सिन्हा ने पुलवामा में शहीद भारतीय जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि भारत की बलिदानी परम्परा रही है। देश की रक्षा व सुरक्षा के लिए लम्बे समय से प्रत्येक भारतीय बलिदान के लिए तत्पर रहता है। उन्होंने लोकमान्य तिलक के जीवन का प्रसंग बताते हुए कहा कि जवान पुत्र की मौत भी तिलक को अंगेज सरकार के काले कानून के विरुद्ध लिखने से नहीं रोक सकी। उन्होंने अपना काम पूरा करने के बाद ही मृत पुत्र की सुध ली। डा. सिन्हा ने तिरंगे झण्डे के लिए बलिदान हुए बिहार के सात नन्हें बालकों का प्रसंग भी सुनाया कि कैसे वे एक के बाद एक तिरंगे झण्डे के सम्मान के लिए अंगेजों की गोली के शिकार बने।
उन्होंने कहा कि देहरादून/उत्तराखण्ड के चारों शहीद भी उसी बलिदानी परम्परा के वाहक थे जो भारत माता की रक्षा में बलिदान हो गए। डा. सिन्हा ने कहा लोकतंत्र की रक्षा से पहले देश की रक्षा जरूरी है।
डा. सिन्हा ने कहा, भारतीय लोकतंत्र को मिली व्यक्तित्व प्रधानता के कारण अनेक नुकसान हुए हैं। उन्होंने कहा इससे जातिवाद, क्षेत्रवाद व प्रान्तवाद को बढ़ावा मिला तथा साम्प्रदायिकता का जहर समाज में व्याप्त हो गया। जातिवादी राजनीति के सम्बन्ध में उन्होंने कहा कि पं. दीनदयाल जी ने चुनाव हारना स्वीकार किया जातिवाद के नाम वोट मांगना अस्वीकार कर दिया। परिणामस्वरूप वे चुनाव हार गए। डा. सिन्हा ने कहा कि दीनदयाल जी ने कहा कि ”दीनदयाल चुनाव हार गया लेकिन जनसंघ जीत गया और जातिवाद हार गया।“
डा. सिन्हा ने कहा कि कश्मीर भारत का है और भारत में रहेगा। उमर अब्दुला और महबूवा मुफ्ती जैसे लोगों को तय करना है कि उन्हें कहाँ रहना है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रदेश के मुख्यमंत्री मा. त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने देश का मन बन रहा है कि पाकिस्तान को सबक सिखाया जाय। उन्होंने कहा देश के लिए बलिदान होने वालों में उत्तराखण्ड का हिस्सा 10 प्रतिशत से अधिक है। कारगिल के युद्ध में शहीद सैनिकों मेंं उत्तराखण्ड के 40 प्रतिशत सैनिक शहीद हुए थे। केन्द्र सरकार दृढ़ता के साथ पाकिस्तान की हरकतों के खिलाफ खड़ी है। इसलिए विश्व भी भारत के साथ है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि देहरादून के महापौर श्री सुनील उनियाल गामा ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
विश्व संवाद केन्द्र के निदेशक विजय कुमार ने लोकतंत्र के समक्ष उपस्थित चुनौतियां विषय की भूमिका रखी तथा कहा कि लोकतंत्र के महापर्व चुनाव के नगाड़े बजने लगे हैं। यह महाउत्सव है, इसमें सम्पूर्ण देश को शामिल होना है। इसलिए लोकतंत्र की भूमिका को जानना जरूरी है।
कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा सामूहिक रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया। विश्व संवाद केन्द्र की ‘वार्षिकी 2018’ के सम्पादक डा. देवेन्द्र भसीन ने पत्रिका के सन्दर्भ में जानकारी दी तथा बाद में अतिथियों द्वारा पत्रिका का लोकार्पण किया गया।
संवाद केन्द्र के सचिव श्री राजकुमार टांक ने विश्व संवाद केन्द्र की जानकारी देते हुए संवाद केन्द्र के कार्यक्रमों से जुड़कर सहयोग करने का आह्वान किया।
विश्व संवाद केन्द्र के अध्यक्ष सुरेन्द्र मित्तल ने उपस्थित लोगों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आज का आयोजन हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण और गरिमामय है।
कार्यक्रम का संचालन पत्रिका के सह सम्पादक श्री राजेन्द्र पन्त ने किया। लोकार्पण समारोह में प्रान्त प्रचारक युद्धवीर, महानगर संघचालक श्री आजाद सिंह रावत, महानगर कार्यवाह विशाल जिंदल, महानगर प्रचार प्रमुख हिमांशु अग्रवाल, सुखराम जोशी, रीता गोयल, चन्द्रगुप्त विक्रम, उद्योगपति अशोक विड़लास, राकेश ओबराय सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।