उत्तराखण्ड के समस्त निजी चिकित्सा संस्थानो द्वारा उत्तराखंड सरकार के CEA (क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट्स एक्ट) का विरोध एवं जनता से अपील

देहरादून–उत्तराखंड सरकार के ढुलमुल व उपेक्षित रवैये की वजह से CEA (क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट्स एक्ट) की जद में आने तथा एमडीडीए एक्ट की उत्पीड़नात्मक कार्रवाई का उत्तराखण्ड के समस्त निजी चिकित्सा संस्थान (एलोपैथिक,आयुर्वेदिक,होम्योपैथिक,यूनानी व डेंटल आदि) विरोध कर रहे हैं। पिछले चार दिन से नर्सिंग होम और अस्पताल अनिश्चितकाल के लिए स्वेच्छा से किन्तु मजबूरी में बन्द चल रहे हैं। इसी को लेकर आइएमए अपनी भावी रणनीति और कार्रवाई को डॉ.संजय गोयल (अध्यक्ष)
डॉ.विजय त्यागी (सचिव) के द्वारा बैठक की गई।(उत्तराखंड सरकार के उपेक्षापूर्ण व अड़ियल रवैये की वजह से मजबूरी में उठाये गए इस कदम से उत्पन्न मरीजों को होने वाली असुविधा के लिए हमें सहृदय खेद है।)


                                 अपील
हम जानते है की आप सब को हमारे बंद क्लिनिक और नर्सिंग होम से बहुत परेशानी हो रही हैं ।हम भी आप सब के दुख से व्यथित है परन्तु मौजूदा प्रारुपम मे MDDA/ CEA के नियमो का पालन करना हमारे लिए असंभव है क्योकि—

(1) हम अपने क्लिनिक या नर्सिंग होम का आकार नही बढ़ा सकते है ना ही उसके सामने की रोड को चौड़ा कर सकते है ।
(2)यदि सरकार रेजिडेशियल इलाके मे नर्सिंग होम नही चलने देना चाहती हैं तो नर्सिंग होम कहा होने चाहिएं? मार्किट मे या जंगल मे।
(3)यदि सरकार छोटे नर्सिंग होम और क्लिनिक को बंद करती है तो मरीजों के लिए विकल्प केवल सरकारी या बडा कारपोरेट अस्पताल ।
(4)सरकारी अस्पतालों में जनशक्ति और संसाधनो की कमी है पहले से ही भीड है कारपोरेट अस्पताल बहुत महंगे है और महंगे हो जाएंगे।
(5)अगर सरकार 70% छोटे नर्सिंग होम को बंद करती है तो स्वास्थ्य की स्थिति बेहद दयनीय होगी(औसतन 500देहरादून मे तथा पूरे उत्तराखंड में औसतन 2000 क्लिनिक और छोटे नर्सिंग होम है)
अतः आप सब से अनुरोध है कि कृपया हमारा साथ दे और संयम रखे।हमारा सहयोग करे ताकि हम भविष्य मे बिमारो की देखभाल करना जारी रख सके ।

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