केंद्र से आई विशेषज्ञ चिकित्सकों की तीन सदस्यीय टीम ने इंदिरेश अस्पताल में पाई खामियां पाई, पढ़िए क्या है मामला

देहरादून। उत्तराखंड में स्वाइन फ्लू की स्थिति की समीक्षा के लिए केंद्र से आई विशेषज्ञ चिकित्सकों की तीन सदस्यीय टीम ने अपनी रिपोर्ट स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. टीसी पंत को सौंप दी है। स्वास्थ्य महानिदेशालय के अनुसार रिपोर्ट में उल्लेखित है कि श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में संचालित लैब निर्धारित मानकों के अनुसार कार्य नहीं कर रही है। लैब का नियमित नवीनीकरण भी एनसीडीसी दिल्ली द्वारा नहीं कराया गया है।

डीजी हेल्थ डॉ. टीसी पंत ने बताया कि जांच दल ने पाया कि श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में संचालित लैब से कम से कम पांच प्रतिशत सैंपल क्रॉस चेकिंग के लिए एनसीडीसी दिल्ली को भेजे जाने चाहिए थे। जबकि ऐसा नहीं किया जा रहा है। गत दो वर्षों में एनसीडीसी दिल्ली भेजे गए सैंपल की रिपोर्ट में भी कुछ सैंपल के परिणामों में भिन्नता पाई गई है। टीम ने पाया कि अस्पताल में मानकानुसार इन्फेक्शन कंट्रोल प्रैक्टिस अमल मे नहीं लाई जा रही है।

इसके अलावा आइसीयू प्रबंधन में भी खामियां पाई गईं। यह भी कहा गया है कि अस्पताल में संदिग्ध इन्फ्लुएंजा के रोगियों के लिए अलग से कोई ओपीडी की भी व्यवस्था नहीं है। केंद्रीय टीम ने राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देश दिए कि वह अन्य सभी निजी चिकित्सालयों की तरह श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में भर्ती मरीजों के सैंपल भी एनसीडीसी दिल्ली को भेजें।

केंद्रीय टीम ने स्वाइन फ्लू की जांच, उपचार एवं प्रबंधन आदि बिंदुओं पर सरकारी एवं निजी चिकित्सकों को राज्य स्तर पर प्रशिक्षण भी दिया गया। इस टीम में पब्लिक हेल्थ विशेषज्ञ डॉ. प्रणय वर्मा, श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ. अमित सूरी और माईक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ. रुषिका सक्सेना शामिल रहे।

मृत्यु का मूल कारण नहीं स्वाइन फ्लू 

केंद्रीय टीम ने राज्य एवं जनपद स्तर के अधिकारियों के साथ संयुक्त रूप से प्रमुख सरकारी एवं निजी चिकित्सालयों का निरीक्षण किया। टीम ने पाया कि श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में स्वाइन फ्लू से सर्वाधिक मरीजों की मृत्यु हुई है। इसका अध्ययन करने पर पता चला कि अधिकांश रोगी गंभीर बीमारी की अवस्था मे भर्ती हुए थे।

जिन मरीजों की मृत्यु हुई है उनमें से लगभग 70 फीसद मरीज अन्य बीमारियों से ग्रसित थे। जिनकी मृत्यु का एकमात्र कारण स्वाइन फ्लू नहीं है। ऐसे में मृत्यु के वास्तविक कारणों की जानकारी के लिए प्रत्येक मृत्यु का डेथ ऑडिट अनिवार्य रूप से कराया जाए। मृत्यु के वास्तविक कारणों की जानकारी के बाद ही सूचना सार्वजनिक की जाए। ताकि आम जनमानस में अनावश्यक भ्रम की स्थिति न रहे।

अस्पताल प्रशासन ने बताया षडयंत्र कहा, हर मानक पूरा करती है लैब 

श्री महंत इंदिरेश अस्पताल की लैब की विश्वसनीयता पर सवाल उठे हैं। जिसे अस्पताल प्रशासन ने षडयंत्र करार दिया है। अस्पताल के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी भूपेंद्र रतूड़ी के अनुसार नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) नई दिल्ली को लैब की गुणवत्ता व मान्यता को लेकर कोई शिकायत नहीं है। एक स्पष्ट गाइडलाइन के अंतर्गत ही मॉलीक्यूलर लैब को काम करना होता है।

सामान्य लैब को एनएबीएल एक्रीडिटेशन के लिए हर वर्ष नवीनीकरण करवाना होता है, जबकि स्वाइन फ्लू लैब को इसकी आवश्यकता नहीं होती। उसके लिए अलग मापदंड हैं। अस्पताल इन मापदंडों को भली-भांति पूरा कर रहा है। यदि एनसीडीसी ने लैब की प्रमाणिकता को लेकर कोई रिपोर्ट दी है तो उसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए।

रतूड़ी के अनुसार मॉलीक्यूलर लैब में जांच के लिए आने वाले सैंपलों में 5 से 10 प्रतिशत सैंपल एनसीडीसी क्रॉस वैरीफिकेशन के लिए भेजने होते हैं। अस्पताल नियमित तौर पर यह कर भी रहा है। इन सैंपलों के एनसीडीसी द्वारा सत्यापन पर शत प्रतिशत परिणाम आए हैं। इस वर्ष भी अस्पताल में जिन मरीजों की मृत्यु स्वाइन फ्लू के कारण हुई है, उनके सैंपल भी स्वास्थ्य विभाग उत्तराखंड व एनसीडीसी नई दिल्ली को भेजे गए थे। क्रॉस वैरीफिकेशन में परिणाम पॉजीटिव पाए गए।

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