स्थाई राजधानी पर कुछ नहीं बोले राहुल; यह बेहद निराशाजनक संगठन की नोटा नीति पर मुहर लगनी तय

देहरादून 16 मार्च 2019| आज गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान का संघर्ष स्थल पर धरना देते हुए पूरे 180 दिन पूरे हुए हैं| 06 माह के इस सफर में गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान ने धरना के साथ साथ अनेकों कार्यक्रम जिनमें रैली व प्रदर्शन आदि सम्मिलित हैं।

प्रदेश की स्थाई राजधानी के हल के लिए किए हैं| इस बीच आम चुनाव 2019 के मद्देनजर गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान को इस बात की उम्मीद थी कि राष्ट्रीय राजनीतिक दल राजधानी के विषय पर स्थाई राजधानी गैरसैंण पर सकारात्मक कदम उठाना प्रारम्भ करेंगे; परंतु आज दून में संपन्न हुई रैली में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा गैरसैंण पर मौन धारित रहना निराशा भरा रहा है|

गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान ने कहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज अपने भाषण में मात्र लकीर का फकीर पीटते रहे हैं और जिन प्रादेशिक मुद्दों पर उन्हें मुखर होना चाहिए था। उन मुद्दों पर वह नहीं बोले हैं – जिनमें गैरसैंण स्थाई राजधानी व प्रदेश की जमीनों को बचाने के लिए हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर ठोस कानून सम्मिलित है|

गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान को लगता है कि इसके लिए कांग्रेस के प्रादेशिक नेता जिम्मेदार हैं जिन्होंने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष को जनता के अभिन्न मुद्दों से परिचय नहीं कराया है ; और गैरसैंण जैसे अति महत्वपूर्ण विषय पर राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पूरी तरह से चुप्पी साधी है| गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान इस बात पर अब पूरी तरह आश्वस्त होने लगी है कि केवल जनता की लड़ाई के द्वारा ही प्रदेश की स्थाई राजधानी गैरसैंण का हल प्राप्त किया जा सकता है|

गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान ने नोटा को एक विकल्प के रूप में चुनने की जो रणनीति बनाई है, उसको तीव्र बनाने पर अब तेजी लानी होगी| गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान का कहना है कि यूं लग रहा है कि राष्ट्रीय राजनीतिक दलों काँग्रेस और भाजपा के पास उत्तराखंड को देने के लिए बहुत अधिक कुछ नहीं है| गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान ने कहा है कि अब उनकी निगाह पूरी तरह से भाजपा के राष्ट्रीय नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिकी रहेंगी कि वह गैरसैंण राजधानी के मुद्दे पर किस प्रकार का स्टैंड लेते हैं|

आज 180वें दिन के अवसर पर संघर्ष स्थल पर बैठने वालों में बड़ी तादाद में आंदोलनकारी उपस्थित हुए जिन में प्रमुखता से विजय सिंह रावत, पूरन सिंह राणा, संदीप रावत, निशांत रावत, सुबोध कुमार, प्रवीण कुमार गुसाईं, गोपाल, मनोज ध्यानी, एपीजे बाल, जेपी पांडे, सावित्री नेगी, विशंभर दत्त बौंठियाल, सुभाष रतूड़ी, लक्ष्मी प्रसाद थपलियाल, गोपाल चमोली, विजय सेमवाल, किशन सिंह, मनोज कुमार बड़ोला, तुलसीराम, विजय सिंह पंवार, रविंद्र प्रधान, आनंद भट्ट, सूबेदार भोपाल सिंह बिष्ट, प्रशांत बडोनी, कमल कांत, सोन सिंह रावत, प्रदीप गुसाईं, राजेंद्र प्रसाद, देवेंद्र चमोली, संजय किमोठी, संजय थपलियाल, अखिलेश व्यास, गंगाधर वशिष्ठ, सुभाष त्यागी, जी के भट्ट, सचिन थपलियाल, संदीप सेमवाल, शकुंतला खंतवाल, रवि नेगी, चंडी राठौर, प्रदीप गुप्ता अनिल पाल, राजेश्वर उत्तराखंडी, हरीश थपलियाल, प्रभाकर, शीशपाल सिंह बिष्ट, भूपेंद्र सिंह, देव नेगी, प्रवीण अवस्थी, वीरेंद्र सिंह, सुरेश नेगी, सौरभ रावल, प्रभात उनियाल, हरीश पंत आदि उपस्थित थे|

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