डब्ल्यूआईसी इंडिया में उद्यमी कल्पना सरोज के साथ बातचीत सत्र आयोजित

देहरादून, 9 फरवरी: द वर्ल्ड इंटीग्रिटी सेंटर इंडिया ने आज अपने परिसर में जानी मानी उद्यमी कल्पना सरोज के साथ एक प्रेरक वार्ता सत्र की मेजबानी की। इस सत्र का शीर्षक ‘बिकमिंग कल्पना सरोज चेंजिंग बिलीफ इनटू सक्सेस’ रहा I सत्र कल्पना की सफलता की कहानी पर केंद्रित रहा । कार्यक्रम का संचालन नुपुर झा जगवान ने किया।

कल्पना सरोज एक प्रसिद्ध महिला भारतीय उद्यमी होने के साथ साथ टेड एक्स स्पीकर भी हैं। वह कामनी ट्यूब्स, मुंबई स्थित उद्यम की सीईओ हैं।

कल्पना को मूल रूप से ‘स्लमडॉग मिलिनेयर’ के रूप में जाना जाता है क्योंकि उन्होंने कमानी ट्यूब्स की संकटग्रस्त संपत्ति खरीदी और कंपनी को सफलतापूर्वक मुनाफे में वापस ला दिया था। वह महाराष्ट्र के एक छोटे से गाँव की रहने वाली है और 16 साल की छोटी उम्र में एक बुरे विवाह की शिकार बनीं। काफी समय तक पीड़ित होने के बाद उन्हें उनके घर वापस बुला लिया गया । सामाजिक दबाव का शिकार रही कल्पना ने आत्महत्या करने की कोशिश की।

अपनी यात्रा के बारे में बताते हुए, कल्पना कहती हैं, “मैं तब फर्नीचर व्यवसाय शुरू करने के लिए मुंबई शिफ्ट हुई । बाद में, 1980 के दशक में कमानी ट्यूब्स के मालिक रामजीभाई कमानी का निधन हो गया। कंपनी को कई संकटों का सामना करना पड़ा जिसके बाद उनके बोर्ड ने मुझे पदभार संभालने के लिए संपर्क किया। 2000 में मैं कमानी ट्यूब्स का अध्यक्ष बनीं और 2006 तक मैंने कंपनी को कर्ज से मुक्त कर दिया। ”

उनके जीवन के महत्वपूर्ण मोड़ के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया, “मेरे पिता के सेवानिवृत्त होने के बाद मैं परिवार में अकेले कमाने वाली थी। हमने बहुत कठिन दिन देखे और कई बार दिन में सिर्फ एक बार खाना खाया। पैसे की कमी और बीमारी के कारण मैंने अपनी बहन को खो दिया। यह मेरे जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ था जिसकी वजह से मैंने अपने जीवन में कुछ हासिल करने का प्रण लिया। ”

उन्होंने दर्शकों में बैठी लड़कियों को बताया कि कैसे उनके बिल्डर बनने की कोशिश पे उनकी जान को खतरा हुआ। उन्होंने खुद को बचाने के लिए रिवॉल्वर लाइसेंस के लिए आवेदन किया। यहां तक कि उन्होंने कमानी मिल के कर्ज से छुटकारा पाने की प्रक्रिया में 140 मुकदमे भी लड़े।

सत्र डब्ल्यूआईसी इंडिया के सामुदायिक अनुभवों के मंच ‘द इंस्पिरर्स’ के तहत आयोजित किया गया। यह उन व्यक्तियों को लाइमलाइट में लाने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है, जिन्होंने दूसरों के अनुसरण के लिए एक मिसाल कायम की है।

दर्शकों के बीच मौजूद एक श्रोता श्रद्धा ने कहा, “कल्पना की प्रेरणादायक सफलता की कहानी सुनने के बाद मैं सशक्त महसूस कर रही हूं। इनकी कहानी यह साबित करती है कि कड़ी मेहनत और समर्पण के साथ महिलाएं अभूतपूर्व सफलता हासिल करने के सक्षम हैं।”

इस अवसर पर वेंटेजे हॉल, इकोल ग्लोबल, उत्तराखंड आयुर्वेदिक कॉलेज, ग्यनान्दा स्कूल एवं देहरादुन हिल्स अकेडमी के छात्र छात्राएं उपस्थित रहे ।

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