उत्तरकाशी। उत्तरकाशी में रक्षा बंधन के पावन पर्व पर इस वर्ष राज्यपुष्प ब्रह्मकमल, देववृक्ष भोजपत्र और दिव्य सुगंध से युक्त केदारपाती इस वर्ष भाई-बहन के स्नेह अटूट बंधन का प्रतीक बनेंगे। स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं ने इन दुर्लभ हिमालयी वनस्पतियों को राखी की डोर में जोड़ा है। ब्रह्मकमल, भोजपत्र और केदारपाती से सजी इन अनूठी राखियों को लेकर आम लोगों में काफी आकर्षण देखा जा रहा है।
मुख्यमंत्री सशक्त बहना योजना के तहत राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी सीमांत गांव धराली की सोमेश्वर स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने इस बार रक्षा बंधन पर्व को देखते हुए ब्रह्मकमल, भोजपत्र और केदारपाती से युक्त राखियां तैयार की है। महिलाओं ने सोमवार को पहली बार कलक्ट्रेट परिसर में स्टॉल के माध्यम से राखियों को प्रदर्शन व बिक्री के लिए प्रस्तुत किया। इसके साथ ही मॉं दुर्गा स्वयं सहायता समूह नेताला की महिलाओं द्वारा निर्मित ‘गंगा डॉल‘ राखी भी स्टॉल पर उपलब्ध कराई गई। हिमालयी वनस्पतियों तथा स्थानीय रेशों से बनी इन पर्यावरण हितैषी राखियों को को लेकर आम लोगों में काफी उत्सुकता देखी जा रही है।
जिलाधिकारी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने इन अनूठी राखियां को खरीद कर महिला समूहों के प्रयासों को न केवल सराहा बल्कि उन्हें विणपन के लिए यात्रा मार्ग पर बेहतर सुविधा और स्थान उपलब्ध कराने का भी भरोसा दिलाया है। पहले दिन काफी लोगों ने इन राखियों की खरीद कर पर्यावरण व परंपरा के प्रति अपने अनुराग को प्रदर्शित करने के साथ ही महिला समूहों की अभिनव पहल को जमकर सराहा। सीडीओ जय किशन ने बताया कि स्वतंत्रता दिवस एवं रक्षा बंधन के उपलक्ष्य में स्थानीय स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा तैयार की जा रही राखी एवं स्थानीय उत्पादों के प्रदर्शन एवं बिक्री के लिए कलेक्ट्रेट परिसर, विकास भवन लड़ादी तथा प्रत्येक ब्लॉक मुख्यालय परिसर में स्टॉल लगाए गए हैं। यह स्टॉल 18 अगस्त तक संचालित होंगे। कहा कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिलाओं को आजीविका के बेहतर अवसर उपलब्ध कराकर उन्हें सशक्त बनाने के लिए जिले में 4448 समूहों का गठन किया गया है। इनमें से कुछ समूह सक्रियता से कार्य कर अभिनव पहल करने में जुटे हुए हैं।