पुणे। भीमा कोरगांव मामले में पुणे पुलिस ने गुरुवार को कोर्ट में चार्टशीट दाखिल कर दी। पुलिस ने सुधा भारद्वाज, वरवर राव, अरूण फरेरा, वर्नोन गॉनजैल्विस और गणपति के खिलाफ 1837 पेज की चार्टशील दाखिल की है। प्रतिबंधित संगठन सीपीआइ(एम) के पूर्व महासचिव गणपति को भी पुलिस ने आरोपी बनाया है।
इससे पहले अक्टूबर 2018 में भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में आरोप पत्र दाखिल करने के लिए महाराष्ट्र पुलिस को सुप्रीम कोर्ट ने और समय दे दिया था। शीर्ष अदालत ने बांबे हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें इस मामले में पुलिस को चार्जशीट दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय देने से इन्कार कर दिया गया था।
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में महाराष्ट्र पुलिस ने अगस्त में कई जगह छापे मारे थे, जिसके बाद वरवर राव को हैदराबाद से, फरीदाबाद से सुधा भारद्वाज और दिल्ली से गौतम नवलखा को गिरफ्तार किया था। जबकि ठाणे से अरण फरेरा और गोवा से वेरनन गोंजाल्विस को गिरफ्तार किया गया था। हालांकि
बाद में हाई कोर्ट ने गौतम नवलखा को रिहा कर दिया था। पुलिस का आरोप था कि इन पांचों का संबंध उन माओवादियों से है, जिन्होंने पिछले साल 31 दिसंबर को यलगार परिषद का आयोजन किया था। पुलिस का आरोप है कि परिषद का ही भीमा-कोरेगांव युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़काने में हाथ रहा है।
बता दें कि 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में हुई यलगार परिषद के बाद ही एक जनवरी, 2018 को भीमा-कोरेगांव हिंसा हुई थी। पुणे पुलिस का कहना है कि यलगार परिषद का आयोजन प्रतिबंधित माओवादी संगठनों के सहयोग से किया गया। इस मामले में पुलिस को आनंद तेलतुंबड़े की कई माओवादियों से बातचीत के सबूत मिले हैं।