देहरादून: फागुन ने छेड़ी तान, घुघती गाए मीठे गान, खिला है फ्यूंली और बुरांश, प्रकृति में नव यौवन की आस होली आई रे….. होली गीत के साथ कवि वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ” ने कैलाश होटल में आयोजित होलिकोत्सव को काव्य रंगों से सराबोर कर दिया।
वहीँ, प्रतिभा नैथानी ने चाँद मेरे हमजोली ! मुझको याद आता है वो फाग जो कब के छूटा कहीं मेरे गांव में , मगर फागुन में हमेशा थाप देता रहता है यादों के मंजीरे पर दूर से आती ढ़ोल की आवाज की तरह’ संस्मरण के माध्यम सब का मन मोह लिया।
कहानीकार प्रतिभा नैथानी और मनीष नैथानी ने रिंग रोड स्थित होटल में होली मिलन कार्यक्रम “होलिकोत्सव” का आयोजन किया। समारोह का शुभारम्भ वरिष्ठ कवियित्री डॉ नीलम प्रभा वर्मा ने सरस्वती वंदना से किया। वरिष्ठ शाइर अंबर खरबंदा ने रिश्तों की सच्चाई उजागर करते हुए पढ़ा कि “जब तक न पड़े काम, बड़े काम के हैं दोस्त”।
रुड़की से आए कवि नीरज नैथानी ने “चींटियों की सभा आश्चर्य से भरी थी, बातें कुछ खोटी और कुछ खरी थी” के माध्यम से भ्रष्ट्राचार पर तीखा प्रहार किया। हरिद्वार से आए गिरीश चंद्र बंदूनि और देहरादून के कवि राकेश जुगरान ने कुत्ता रचना के माध्यम राजनीति पर व्यंग्य किया। हरिद्वार से आए कवि हरीश भदुला ने प्रेमिका की बेवफाई पर लोकभाषा गढ़वाली में रचना “काल क वे दिन पुछण मिन कुछ सवाल” का पाठ किया।
वहीँ गिरीश वशिष्ठ ने गढ़वाली में ही ग़ज़ल “ऐ जा देखि ले तू कनैं जीयां हम” सुनाकर वाहवाही लूटी। समारोह में दीपशिखा गुसाँई, कान्ता घिल्डियाल, आभा सक्सेना, मनीष नैथानी, पल्लवी रस्तोगी आदि ने भी काव्यपाठ किया।
समारोह की अध्यक्षता सेवानिवृत्त अध्यापिका चित्रा नैथानी और संचालन नीरज नैथानी ने किया। इस अवसर पर, तरुण व्यास, वीएन रावत, दीप्ति उनियाल, कांता खरबंदा, ममता डंगवाल, पारस पार्थ आदि मौजूद थे।