नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने जॉर्ज एवरेस्ट के सौंदर्यीकरण और अन्य विकास कार्यों को लेकर भेजा नोटिस

मसूरी। जॉर्ज एवरेस्ट हाउस और आसपास के क्षेत्र में सौंदर्यीकरण के साथ ही अन्य विकास कार्यों को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने नोटिस जारी किया है। यह नोटिस निर्माण कार्य के चलते पास स्थित बिनोग वाइल्ड लाइफ सेंचुरी को खतरा पहुंचने की शिकायत के मद्देनजर जारी किया गया है। जिसमें राज्य सरकार, जिलाधिकारी देहरादून व मसूरी डीएफओ को एक माह के भीतर कानूनी प्रक्रिया के तहत प्रकरण का निस्तारण कर जवाब देने को कहा गया है। ऐसे में निर्माण कार्य शुरू होने से पहले ही सौदर्यीकरण के खटाई में पड़ने के आसार भी बन गए हैं।

एनजीटी के नोटिस के बाद डीएफओ मसूरी कहकशां नसीम ने आगामी आदेश तक निर्माण कार्य न कराने का दावा किया है। जबकि 17 फरवरी को पर्यटन विभाग ने सौंदर्यीकरण के कार्यों का शिलान्यास कराने की तैयारी कर ली है। इस मामले में पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर का कहना है कि निर्माण में किसी भी तरह के नियमों की अनदेखी नहीं की जा रही है। जॉर्ज एवरेस्ट एक ऐतिहासिक और अंतरराष्ट्रीय महत्व वाला स्थल है, जो अब जर्जर स्थिति में है। ऐसे में इसका संरक्षण जरूरी है और कार्यों का शिलान्यास 17 फरवरी को ही किया जाएगा।
उधर, डीएफओ नसीम का कहना है कि हाथीपांव से जॉज एवरेस्ट तक एप्रोच रोड के लिए पर्यटन विभाग ने एनओसी ली है। जॉर्ज एवरेस्ट हाउस परिसर में निर्माण कार्यों की एनओसी अब तक प्रक्रियाधीन है। हालांकि, यह परिसर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी से बाहर है, फिर भी प्रकरण की संवेदनशीलता को देखते हुए फिलहाल निर्माण कार्य पर रोक लगाई गई है। उच्चाधिकारियों से विचार-विमर्श करने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
इसलिए किया जा रहा सौंदर्यीकरण 
भारत के पहले सर्वेयर जनरल जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर यहां का नाम जॉर्ज एवरेस्ट पड़ा। यहां पर जॉर्ज एवरेस्ट के आवास व एक ऑब्जर्वेटरी का निर्माण वर्ष 1982 में किया गया था। आज यह भवन जीर्ण-शीर्ण हालत में पहुंच गए हैं। पर्यटकों की आमद को देखते हुए इसे और बेहतर बनाने के लिए यहां पर पर्यटन विभाग की 23.60 करोड़ रुपये की योजना प्रस्तावित है। इसी का शिलान्यास 17 फरवरी को किया जाना है।

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