देहरादून- “परहित सरिस धर्म नहिं भाई”
शिक्षा-स्वास्थ्य के साथ ही बेसहारा लोगों के जीवन को नई दिशा प्रदान कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में समर्पित हैं माता मंगला जी
जी हाँ, निरक्षर को आख़र ज्ञान, बूढों के साथ बैठकर बतियाना, बीमार जनों को निरोग होने की क्षमता देना,भूखों को भोजन देना हो,या अपंग व निशक्तजनों को आत्मविश्वास दिलाकर आगे बढ़ने की हिम्मत देना,किसी न किसी माध्यम से हम एक-दूसरे के लिए मददगार साबित हो सकते हैं।
उत्तराखंड में देहरादून जनपद के रायपुर विकासखंड में स्थित कोटली गाँव के राजकीय इंटर कॉलेज बुरांसखंडा की भौगोलिक स्थिति कुछ अलग सी है, यूँ तो यहाँ पर माह जून-जुलाई में भी तेज हवाएं चलने से कंपकंपी बनी रहती है, किन्तु दिसम्बर-जनवरी एवं फरवरी माह में वर्फवारी के कारण यहाँ पर और भी ठण्ड बढ़ जाती है। स्कूली बच्चों की मीलों दूर से पहाड़ी रास्ते की पैदल यात्रा (जंगली जानवरों का खतरा अलग) और ठण्ड से खड़खड़ाती हाड़ को लेकर अभिभावकों के साथ ही विद्यालय परिवार का भी चिंतित होना स्वाभाविक है।
विद्यालय विकास एवं बाल कल्याण समिति समय-समय पर अभावग्रस्त व जरूरतमंद बच्चों के स्वास्थ्य व सुरक्षा व्यवस्था के लिए स्वयंसेवियों से सहयोग प्राप्त करती है। इसी क्रम में समिति द्वारा बच्चों को सर्दी से बचने के लिए गर्म जैकेट्स उपलब्ध करवाने का प्रयास किया गया और
संपर्क किया “हंस फाउंडेशन एवं हंस कल्चर सेंटर” से, शीघ्र ही माता मंगला जी का सानिध्य मिला, विद्यालय में पढ़ने वाले सभी बच्चों के लिए सर्दी से बचने को उपलब्ध हुए गर्म जैकेट्स (हुड्स)।
शीतावकास के बाद विद्यालय खुलते ही चारों ओर वर्फवारी से वर्फ़ीली हवा में नये साल में सभी बच्चों को जैकेट्स के साथ ही सुफल के रूप में माता जी का आशीर्वाद भी प्राप्त हुआ।
अक्सर आज जहाँ अधिकांश लोग स्वयं अथवा एकल परिवार तक ही सीमित देखे जाते हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो निःस्वार्थ भाव से समाज सेवा के लिए तत्पर रहते हैं, इन्हीं लोगों में अग्रणी हैं “पहाड़ की माँ” अर्थात समाज सेवी मंगला रावत जी, जो केवल शिक्षा-स्वास्थ्य के क्षेत्र में ही नहीं, अपितु बेसहारा लोगों के जीवन को भी नई दिशा प्रदान कर रही हैं। माता मंगला जी जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं में भी सहायता प्रदान करती हैं।
माता मंगला जी ने पति श्री भोले जी महाराज के साथ मिलकर “द हंस फाउंडेशन”, “श्री हँसलोक जनकल्याण समिति” तथा “हंस कल्चर समिति” जैसी धर्मार्थ, सामाजिक और आध्यात्मिक संस्थाओं की बुनियाद रखी।
पौड़ी गढ़वाल के सतपुली में “हंस करुणा अस्पताल”, हरिद्वार के बहादराबाद में “हंस आई केयर”, दिल्ली के साकेत में सिटी अस्पताल,सर् गंगाराम अस्पताल, करोलबाग, फरीदाबाद, देहरादून में हिमालयन इंस्टीट्यूट अस्पताल, महंत इन्द्रेश आदि अस्पतालों से अनुबंध कर जरूरतमंदों के इलाज पर आने वाले खर्च को वहन करते हैं।
महात्मा गांधी एवं मदर टेरेसा जैसे महान संतों की तरह ही माता जी ने भी अपना सम्पूर्ण जीवन दूसरों की सेवाओं में लगा दिया है। हमारा कर्त्तव्य है कि हम ऐसे दानियों की भावनाओं को वास्तविक जरूरतमंदों तक पहुँचा सकें।
हमारा उद्देश्य अभावग्रस्त बच्चों की आवश्यकता पूर्ति करना मात्र नहीं है, बल्कि यह सब देख निःस्वार्थ भाव से एक-दूसरे के मददगार बनने, आपसी भाईचारे के साथ ही उनमें सेवा-भावना विकसित करना ज्यादा महत्वपूर्ण है।
वर्ष 2019 की दस्तक पर सम्पूर्ण विद्यालय परिवार माता मंगला जी एवं भोले जी महाराज के स्वस्थ जीवन व दीर्घायु की मंगल कामना करते हैं। हम हंस फाउंडेशन की व्यवस्था में संलग्न सभी स्वयंसेवक-कर्मचारियों का भी हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं, जो समाज सेवा के इस पुनीत कार्य में अपना योगदान दे रहे हैं।
कहा भी गया है:
जीना तो है उसी का, जिसने यह राज जाना।
है काम आदमी का, औरों के काम आना।।
विद्यालय के प्रधानाचार्य जगमोहन सिंह थपलियाल, प्रवक्ता कमलेश्वर प्रसाद भट्ट, ओ पी पाण्डे, एन वी पन्त, के के राणा,राजेन्द्र सिंह रावत,आर के चौहान, प्रियंका घनस्याला, मेघा पँवार, सुमन,मनीषा, संगीता,जे पी नौटियाल,जी वी सिंह,सलीम सिद्धिकी, एस पी डोभाल,जय सिंह,प्रवीन,राकेश एवं अभिभावकों राजपाल भण्डारी,चन्दन सिंह व जशोदा देवी आदि ने माता मंगला जी का आभार प्रकट किया।