देहरादून। उत्तराखण्ड पर्यटन विकास बोर्ड और भारत तिब्बत सीमा पुलिस के सहयोग से विंटर पैरा गेम्स ट्रेनिंग कैंप का पहला आयोजन उत्तराखण्ड के औली में चार फरवरी से शुरू होकर शनिवार नौ फरवरी को समाप्त हुआ। आदित्य मेहता फाउंडेशन भारत का एकमात्र संगठन है जो संपूर्ण देश में विकलांग खिलाड़ियों के लिए काम कर रहा है। संगठन द्वारा भारत में विशेष रूप से विकलांग लोगों को पैरा गेम खेलने में मदद किया जाता है जो, आने वाले भविष्य में चैंपियन बनने की ओर एक महत्वपूर्व प्रयास है। वर्ष 2020 में आयोजित होने वाले अंतर्राष्ट्रीय शीतकालीन पैरा-खेल प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए विशेष रूप से 26 एथलीटों को चुना गया है।
संस्थापक आदित्य मेहता ने बताया कि आदित्य मेहता फाउंडेशन विकलांग एथलीटों को विकलांगता के स्तर के अनुरूप अत्याधुनिक उपकरणों से लेस उपकरण प्रदान करता है जो उन्हें अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में मदद करता है। पैरा एथलीटों को विभिन्न खेलों जैसे अल्पाइन स्कींइंग, बैथलॉन, स्नोबोर्डिंग और व्हीलचेयर कर्लिंग में प्रशिक्षित किया जाएगा।
पैरा एथलीट प्रशिक्षण शिविर में विशेष रूप से 15 वर्ष से 18 वर्ष तक के 12 दृष्टिहीन युवाओं ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। इनके साथ सीआरपीएफ और आईटीबीपी के वे जवान जिन्होंने देश के लिए कार्य करते हुए अपने एक पैर या दोनों पैर गवांये हैं, उन सभी पैरा एथलीटों ने औली में प्रशिक्षण प्राप्त किया।
यह प्रशिक्षण भारत के अलग-अलग राज्यों से आये हुए विकलांग, पैरा एथलीट एवं दृष्टिहीन खिलाड़ियों के लिए आसान नहीं था। क्योंकि वे उत्तराखण्ड के औली में पहली बार दस हजार फीट की ऊंचाई पर प्रशिक्षण ले रहे थे। आदित्य मेहता ने बताया कि नेत्रहीन बच्चों ने बर्फ में चलने के लिए ताली बजाने जैसे ध्वनि संकेतों का उपयोग करके आगे बढ़ते हुए प्रशिक्षण प्राप्त किया।