विश्व कैंसर दिवस पर कैंसर से पीड़ित गोवा के मुख्यमंत्री ने ट्विटर पर लिखा संदेश

नई दिल्ली। आज विश्व कैंसर दिवस है। कैंसर से पीड़ित गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने ट्विटर पर इसको लेकर देश के लोगों को संदेश दिया है। दिल्ली के एम्स में भर्ती मनोहर पर्रिकर ने ट्विटर पर ट्वीट किया है कि, किसी भी गंभीर बीमारी से लड़ने के लिए इन्सान का मन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ट्वीट कर पर्रिकर ने कहा कि मनुष्य का मन किसी भी गंभीर बीमारी को दूर कर सकता है। पर्रिकर के इस ट्वीट को महज तीन घंटे के अंदर ही 15 हजार से ज्यादा लोगों ने पसंद किया है जबकि 3908 लोगों ने इसे रिट्वीट किया है।

मन के हारे हार है, मन के जीते जीत
एक कहावत भी है कि मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।  मनोहर पर्रिकर भी यही बात कैंसर से पीड़ित लोगों से कही है। उनके कहने का मतलब यह है कि गंभीर से गंभीर बीमारी में किसी भी इन्सान को निराश नहीं होना चाहिए और उसका सामना मजबूती से करना चाहिए। पर्रिकर भी कैंसर जैसी बीमारी से मजबूती के साथ लड़ रहे हैं और अपना कामकाज भी देख रहे हैं। बता दें कि देश के पूर्व रक्षा मंत्री और गोवा के सीएम मनोहर पर्रिकर लंबे समय से पैनक्रियाटिक कैंसर से पीड़ित हैं और वे इसका इलाज काफी समय से करा रहे हैं। इसके इलाज के लिए वे अमेरिका भी गए थे और तीन माह के बाद वापस लौटे।

गोवा का बजट भी किया पेश
मनोहर पर्रिकर ने तीस जनवरी को गोवा विधानसभा का बजट भी पेश किया था। पेंक्रिएटिक कैंसर से जूझ रहे मुख्यमंत्री ने 2019-20 के लिए 455 करोड़ रुपये राजस्व आधिक्य वाला प्रदेश का बजट पेश किया। इस दौरान विधानसभा में वह अपनी सीट पर ही बैठे रहे और उनकी नाक में नली भी लगी रही। पर्रीकर ने कहा कि वह इस बजट को पूरे जोश के साथ पेश कर रहे हैं और वह पूरी तरह होश (he was in full ‘hosh’) में हैं।

कांग्रेस नेता को दिया जवाब
कुछ दिन पहले एक सार्वजनिक कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए पर्रीकर ने फिल्म ‘उड़ी’ के डायलॉग को उद्धत करते हुए लोगों से पूछा था, ‘हाऊ इज द जोश?’ इस पर तंज कसते हुए गोवा कांग्रेस अध्यक्ष गिरीश चोड़नकर ने कहा था, ‘पहले होश में आओ, बाद में जोश की बात करो।’ बजट पेश करते हुए पर्रीकर उनके इसी तंज का जवाब दिया था। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि वह अपनी मातृभूमि को नमन करते हैं और लगातार आशीर्वाद बनाए रखने के लिए लोगों को धन्यवाद देते हैं। उन्होंने कहा था कि वह अपनी अंतिम सांस तक राज्य की सेवा करते रहेंगे।

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