महंगा पड़ेगा भारत से नेपाल जाना !

भारत से नेपाल जाना हुआ महंगा, गोरखपुर में एक और टोल शुरू Gorakhpur News

गोरखपुर के रास्‍ते सड़क मार्ग से नेपाल जाना अब और महंगा हो गया है। पिछले माह गोरखपुर-सोनौली के बीच फोरलेन पर एक टोल प्‍लाजा शुरू हुआ था अब एक और टोल प्‍लाजा शुरू हो गया है।

गोरखपुर, गोरखपुर के रास्‍ते सड़क मार्ग से नेपाल जाना अब और महंगा हो गया है। पिछले माह गोरखपुर-सोनौली के बीच फोरलेन पर एक टोल प्‍लाजा शुरू हुआ था, अब इस मार्ग पर एक और टोल प्‍लाजा शुरू हो गया है। गोरखपुर से सोनौली तक अब सड़क मार्ग से यात्रा करने वाले यात्रियों को दो स्‍थानों पर टोल टैक्‍स देना होगा।

गोरखपुर-सोनौली राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित छपवा में बने टोल प्लाजा पर रविवार से वाहनों से टैक्स की वसूली शुरू हो गई है। टोल प्लाजा का शुभारंभ एनएचएआइ के परियोजना प्रबंधक प्रदीप श्रीवास्तव ने फीता काटकर किया। छपवा टोल प्लाजा पर स्थानीय वाहनों को भी छूट का कोई प्रावधान नहीं है। नौतनवा के छपवा में टोल प्लाजा से वसूली का प्रावधान किया गया है।

इतना है शुल्‍क

वाहन मालिकों को प्रतिदिन 30 रुपये से 185 रुपये का अतिरिक्त भार वहन करना पड़ेगा। टोल प्लाजा पर अब कार, जीप, वैन या हल्के वाहनों से सिंगल यात्रा पर 30 रुपये और वापसी पर 45 रुपये देने होंगे। सिंगल यात्रा के लिए मासिक पास 965 रुपये का होगा। हल्के वाणिज्यिक वाहन, माल वाहन या मिनी बस सिंगल यात्रा पर 45 रुपये और रिटर्न यात्रा पर 70 रुपये देना होगा। ऐसे वाहनों को मासिक पास के लिए 1560 देना होगा। पंजीकृत कमर्शियल वाहन 25 रुपये लगेंगे। बस या ट्रक सिंगल को 105 रुपये और रिटर्न पर 160 रुपये लगेगा। मासिक पास 3270 रुपये होगा। स्थानीय चार पहिया को पास बनवाना पड़ेगा, जिसका प्रति माह टोल 265 रुपये देना होगा।

नेपाल के स्कूलों में चीनी भाषा पढ़ाना अनिवार्य

नेपाल के कई स्कूलों में छात्रों के लिए चीनी भाषा सीखना अनिवार्य कर दिया गया है। यह फैसला चीन सरकार के उस प्रस्ताव के बाद लिया गया, जिसमें चीनी भाषा के शिक्षकों का वेतन काठमांडू स्थित चीनी दूतावास के द्वारा दिए जाने की बात कही गई है। नेपाल के 10 बड़े स्कूलों के प्राचार्य और स्टाफ ने मीडिया से हुई बातचीत में कहा कि चीनी भाषा (मेंडरिन) पहले ही अनिवार्य विषय के रूप में शामिल थी। इसके शिक्षकों की सैलरी काठमांडू में चीनी दूतावास से दी जाती है। एलआरआई स्कूल के फाउंडर शिवराज पंत ने कहा कि पोखरा, धुलीखेल और देश के कुछ हिस्सों में मौजूद निजी स्कूलों में भी मेंडरिन को विद्यार्थियों के लिए अनिवार्य कर दिया गया है। उधर  सरकारी पाठ्यक्रम विभाग के सूचना अधिकारी गणेश प्रसाद भट्टारी ने कहा कि स्कूलों को विदेशी भाषा पढ़ाने की अनुमति है। मगर वे किसी भी विषय को विद्यार्थियों के लिए अनिवार्य नहीं कर सकते हैं। यदि कोई विषय अनिवार्य करना भी है तो इसका निर्णय सरकार करती है। यह स्कूलों के अधिकार क्षेत्र के बाहर है।

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