ईश्वर के चरण में चित्त लगाने का नाम मुक्ति है-आचार्य ममगांई

देहरादून–संसार के सभी पदार्थ नाशवान है। संसार का अर्थ है – जो क्षण-क्षण मर रहा है
वह मन ईश्वर में ही जाकर विलीन हो सकता है,अन्य किसी पदार्थ में नहीं।

ईश्वर से मन दूर जाए वह बंधन, ईश्वर के चरण में मन रहे वह मुक्ति।
उक्त विचार ज्योतिष पीठ ब्यास आचार्य शिवप्रसाद मंमगाई जी ने डिफेंस कालोनी फ्रैंड्स इन्क्लेव देहरादून में थपलियाल परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में भक्तों को संबोधित करते हुए कहे।

श्री आचार्य जी आगे कहते हैं कि गोपियाँ ईश्वर में मन रखकर सभी कार्य करती थी। ईश्वर में मन लगा रहे उसके लिए भगवान की लीला है। भगवान लीला करते है उसका यह तात्पर्य है।

दशम स्कन्ध की कृष्ण लीला,जगत का विस्मरण और प्रभु का अखंड स्मरण कराती है।
श्रीकृष्ण(ईश्वर) में मन को लगा देने से जगत को भुलाया जा सकता है।
शरीर चाहे कहीं भी हो,मन को गोकुल-वृन्दावन में बसाए रखो।

बुद्धि परमात्मा को पकड़ नहीं सकती
“नायमात्मा प्रवचेन लभ्यो न मेघ्या न बहना श्रुतेन।
यमैवैष व्रणतै तेन लभ्यस्तस्यैष आत्मा विवृणुते तनुस्याम्।”

परमात्मा न तो वेदाध्ययन से मिलते है,न तो शास्त्रश्रवणस्य बुध्धि-चातुर्य से। परन्तु जो आत्मा को प्राप्त करना चाहता है उसे ही मिलता है। परमात्मा जिसे अपना मानते है,अपनाते है,उसे ही परमात्मा मिलते है।

आचार्य जी ने कहा कि वेद पुराण शास्त्र मनुष्य को अक्षर ज्ञान ही नही बल्कि प्रकृति के सभी मूलभूत यम नियम संयम सामान्य विज्ञान व कर्तव्य बोध होता है।
संचित को प्रारब्ध कहते है जिसे हम भोग रहे हैं, क्रियमाण कर्म नया प्रारब्ध बनकर आता है इसलिए कर्म करते समय कोई इच्छा न रखते हुए जब हम कर्म करते हैं तो वह आगे बढाने वाला होता है।
जो पिछले दिन किसी के उपकार को ना माने परोत्कर्ष असहन हमारे जीवन पथ की सबसे बडी बाधा है, अंतिम श्वास तक कर्म करते रहना आवश्यक है, जरा सी भी जो समय क्षण की बर्बादी करता है वह सोचनीय व्यक्ति है।

ज्ञान बिना मुक्ति नही मिलती जितना मनुष्य सुखी उतना भ्रमित व जितना दुखी उतना एकांकी होता है, अपनी बुराईयां सुनकर मन को स्थिर रखने वाला व्यक्ति जीवन पथ पर आगे बढता है पर दूसरे की बुराईयों को सुनने वाला ही अज्ञानी है।

इस अवसर पर विशिष्ट रूप से माननीय प्रीतम सिंह विधायक( प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस) माननीय सूर्यकांत धस्माना( प्रदेश उपाध्यक्ष कांग्रेस) माननीय मंत्री प्रसाद नैथानी पूर्व कबीना मंत्री उत्तराखण्ड, माननीय उमेश शर्मा काऊ विधायक रायपुर, माननीय गणेश गोंडियाल पूर्व विधायक , श्री राकेश पंडित पार्षद नगर निगम देहरादून, श्री अमलानंद थपलियाल, सतीश थपलियाल, सुजीत थपलियाल, माननीय अनुसुईया प्रसाद मैखुरी (पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष) राजेश मैखुरी, नवीन मैखुरी, गंगाधर उनियाल, प्रदीप चमोली, भगवती थपलियाल, सुशील थपलियाल ,रमेश खण्डूरी, जगदीश खण्डूरी, सुशीला उनियाल, शशि चमोली अनुभूति कोठियाल, आचार्य विजय खण्डूरी, आचार्य शिवप्रसाद सेमवाल आचार्य मुरलीधर सेमवाल, आचार्य डा. संदीप बहुगुणा, आचार्य द्वारिका नौटियाल, आचार्य अजय मिश्र, पंडित प्रकाश भट्ट, महेश भट्ट, सतपाल आदि उपस्थित रहे

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