देहरादून । प्रदेश में स्वास्थ व्यवस्थाओं में अनिमित्ताओं एवं दून अस्पताल में मरीजों से स्टाफ द्वारा अमर्यादित वर्ताव के संबंध में अस्पताल प्रसाशन से संवाद किया तथा विरोध प्रकट किया।
संगठन व्यक्ताओं ने कहा कि प्रदेश निर्माण के बाद से अब तक 18 वर्षों में उत्तराखंड का आमजनमानस स्वास्थ सेवाओं जैसे बुनियादी अधिकारों से कोसों दूर है। ऐसा नहीं कि प्रदेश में योजनाओं और सेवाओं की बात नहीं हुए या योजनाओं का निर्माण नहीं हुआ किन्तु योजनाओं एवं आमजनमानस के बीच की खाई बहुत बडी, जिसके चलते आज भी आमजनमानस शोषण का शिकार है।
देहरादून स्थित दून अस्पताल में स्वास्थ्य में हो रही अव्यस्थाओं का दौर जारी है। देहरादून जहां प्रदेश के ज्यातर सरकार प्रतिनिधि निवास करते हैं , वहां के ये हालात हैं तो बाकी प्रदेश की स्थिति के हालात सोचनीय। कभी शौचालय में प्रसव तो कभी कंधों पर भाई का शव ढ़ोते कोई भाई इस तरह की दुर्भग्यपूर्ण घटनाओं के हम मूक साक्षी हैं।
संवेदनाएं इस कदर दम तोड़ रही है ये हाल की घटना से उजागर हुआ जब दून हस्पताल में टिहरी से दुष्कर्म की शिकार एक 4 साल की बच्ची के इलाज को दूनअस्पताल के डॉक्टरों ने मना कर दिया और कहा गया की जब तक पुलिस कार्यवाही नहीं होती वो इलाज प्रदान नहीं करेगे।
इस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण रवैया मानवता एवं मानवीय संवेदनाओं पर कुठाराघात है। इसके इलावा अस्पताल प्रसाशन का अमर्यादित वर्ताव भी प्रसाशन की कार्यशैली पर बड़ा प्रश्न लगता है। इलाज प्रदेश में रहने वाले हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार , किन्तु यदि आमजनमानस को उसके इसी अधिकार से वंचित कर दिया तो इससे दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति और कुछ नहीं हो सकती।
प्रदेश स्वस्थ मंत्री प्रदेश के मुख्यमंत्री जी को ज्ञापन के माध्यम से मांग की गई कि इस तरह अनिमत्ताओं पर अंकुश लगाने हेतु कठोर एवं सशक्त कदम उठाएं
इस मौके पर मनीष काला, सतीश सकलानी, यशपाल आर्य, रूबी खान,सुशील कुमार, सुनंदा थापा,सुनीता छेत्री, सोनल चौहान , राजेश कुमार ,जयकृत कंडवाल इत्यादि उपस्थित रहे।