देहरादून, 5 मार्च 2019: ऑटो रिक्शा यूनियन के सदस्यों ने परेड ग्राउंड में शहर की सड़कों पर डीजल से चलने वाले ऑटो पर प्रतिबंध लगाने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया। राज्य सकार ने प्रदूषण को कम करने के लिए प्रदेश में डीजल वाहनों को बैटरी चालित वाहनों से बदलने अथवा एलपीजी ईंधन का प्रयोग करने का आदेश दिया है।
दून ऑटो रिक्शा यूनियन के अनुसार इस निर्णय की वैधता पर सवाल उठाया जा सकता है। यह उनके लिए भेदभावपूर्ण है। नए बीएस प्ट ईंधन से चलने वाले डीजल ऑटो एलपीजी ऑटो जितने ही स्वएच्छए हैं। शहर में मुश्किल से करीब 1100 डीजल से चलने वाले 3$1 ऑटोरिक्शा है, जिन्हें बैन कर दिया गया है, लेकिन डीजल से चलने वाली एक लाख कारों के खिलाफ कोई कदम नही उठाया गया है।
शहर में ऐसे 8 सीटों वाले बड़े डीजल ऑटो और चार पहिया वाले वाणिज्यिक यात्री वाहन धड़ल्लेय से चल रहे हैं, जिनके पास शहर की सीमाओं में गाड़ी चलाने का सिटी परमिट नहीं है, लेकिन उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही है। यूनियन के प्रतिनिधियों के अनुसार यह फैसला निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए लिया गया है।
उन्हों ने उसी बैठक में यह दावा किया कि जहां क्षेत्रीय ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (आरटीए) ने डीजल ऑटोरिक्शा को बैन कर दिया। वहीं डीजल से चलने वाले छोटे चार पहिया कॉमर्शियल वाहनों को 170 परमिट जारी किए गए। लेकिन डीजल से चलने वाली 3$1 ऑटोरिक्शा को नए परमिट लेने और पुराने परमिट का नवीनीकरण करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
दून ऑटो रिक्शा यूनियन के यूनियन लीडर पंकज अरोड़ा ने कहा, “आरटीए का फैसला भेदभावपूर्ण है और उन ऑटो रिक्शा ड्राइवरों के खिलाफ है, जो आम जनता को सस्ता पब्लिक ट्रांसपोर्ट मुहैया करा रहे हैं। यह एकतरफा फैसला केवल डीजल से चलने वाले ऑटो के खिलाफ लिया गया है, जबकि शहर में डीजल से चलने वाले दूसरे वाहन धड़ल्ले से घूम रहे हैं और हमारे ऑटो से ज्यादा प्रदूषण फैला रहे हैं।
जब आरटीए ने 20 फऱवरी 2018 को डीजल ऑटो पर बैन लगाया था, उसी दिन छोटे चार पहिया डीजल वाहनों को नए परमिट दिए गए थे। देहरादून में आमतौर पर 2300 रजिस्टर्ड ऑटो रिक्शा है, जिसमें से 1100 ऑटो डीजल ऑटो हैं। अचानक इन डीजल ऑटो पर बैन लगने से हमारी रोजी-रोटी प्रभावित हो रही है। जहां तक प्रदूषण का सवाल है, 6 सीटों वाले 3 पहिया और 4 पहिया वाहन ज्यादा प्रदूषण फैलाते हैं क्योंकि वह रोजाना दिन में 12 घंटे तक चलते हैं।
हालांकि औसतन हम केवल दिन में 2-3 घंटे तक चलते हैं। वह भी केवल 50-60 किमी तक तभी चलते हैं, जब हमें बुकिंग मिलती है। हम प्रति किमी मीटर रेट काफी कम होने की परेशानी से पहले ही जूझ रहे हैं। हमारे प्रति किमी मीटर रेट अभी भी 10 रुपये किमी है और इसे 2010 से बढ़ाया नहीं गया है।
डीजल ऑटो को एलपीजी या इलेक्ट्रिक वाहनों को बदलने का निर्णय ऑटो चालकों पर आर्थिक बोझ डालेगा क्योंकि शहर में पर्याप्त रूप से एलपीजी की उपलब्धता का अभाव है। (इस समय शहर में केवल 2 एलपीजी स्टेशन ही काम कर रहे हैं) इस स्थिति में कई ड्राइवर खाना पकाने में प्रयोग की जाने वाली एलपीजी गैस का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे वह अपने साथ ही दूसरे यात्रियों की जान को खतरे में डाल रहे हैं।”
उन्हों ने यह भी कहा कि “देहरादून में पहले ही 2 हजार से ज्यादा इलेक्ट्रिक ऑटो रिक्शा हैं जो बिना किसी लाइसेंस के चल रहे हैं और शहर में बेतहाशा भीड़भाड़ और जाम की स्थिति पैदा हो रही है। तीन पहियों वाले डीजल ऑटो रिक्शा, जिसमें नया बीएसप्ट इंजन लगा है, से काफी कम मात्रा में उत्सर्जन होता है। इसलिए यह फैसला भेदभावपूर्ण है और शहर में प्रदूषण की समस्या का समाधान नहीं करता। हम आरटीए से बीएसप्ट डीजल ऑटोरिक्शा पर बैन हटाने का अनुरोध करते हैं।”
इस विरोध प्रदर्शन में 300 से ज्यादा ऑटो ड्राइवरों ने हिस्साम लिया। इन लोगों ने अपनी पीड़ा से अवगत कराया जिससे उनकी रोजी-रोटी सीधे प्रभावित हो रही है। उन्होंने आरटीए और सरकार से मांग की कि वह डीजल ऑटो के रजिस्ट्रेशन पर लगाया गया प्रतिबंध फौरन हटाएं।