भारत समेत दुनिया के तमात देशों में कैंसर तेजी से पांव पसार रहा है, लेकिन भारत में ये कुछ ज्यादा ही खतरनाक रूप अख्तियार कर रहा है। भारत में कैंसर की स्थिति को लेकर किए गए एक ताजा अध्ययन में बताया गया है कि यहां प्रत्येक 20 वर्ष में इस जानलेवा बीमारी से पीड़ित मरीजों की संख्या दोगुनी हो रही है। कैंसर का सबसे ज्यादा खतरा, सबसे ज्यादा आबादी वाले आठ राज्यों में है।
जर्नल ऑफ ग्लोबल ऑन्कोलॉजी (Journal of Global Oncology) में इसी माह प्रकाशित इस अध्ययन में बताया गया है कि भारतीय आर्युवेदों और पांडुलिपियों में भी कैंसर जैसी बीमारियों और उपचार का उल्लेख मिलता है। मतलब कैंसर सदियों पुरानी बीमारी है। अर्थवेद समेत कई भारतीय ग्रंथों में भी इसी तरह की बीमारी का जिक्र करते हुए बचाव के लक्ष्ण बताए गए हैं
1910 में प्रकाशित हुआ भारत में कैंसर का ब्यौरा
वर्ष 1860 से 1910 के बीच इंडियन मेडिकल सर्विस के डॉक्टरों द्वारा पूरे भारत में कई ऑडिट्स किए गए और कैंसर संबंधी मामलों का ब्यौरा प्रकाशि किया गया था। 19वीं सदी में पश्चिमी दवाओं की स्वीकार्यता बढ़ने के बाद कैंसर की जांच शुरू हुई। 1917 से 1932 के बीच भी भारतीय डॉक्टरों द्वारा विभिन्न मेडिकल कॉलेज में पोस्टमार्टम रिपोर्ट, पैथोलॉजी रिपोर्ट और क्लीनिकल डाटा का अध्ययन किया गया, इसमें पता चला कि अधेड़ आयु व बुजुर्ग अवस्था में कैंसर से मौत के मामले सामान्य होते जा रहे हैं।
इन आठ राज्यों में सबसे ज्यादा खतरा
भारत में कैंसर की स्थिति पर ये अध्ययन कोलकाता स्थिति टाटा मेडिकल सेंटर के डिपार्टमेंट ऑफ डाइजेस्टिव डिजीस के मोहनदास के. मल्लाथ और लंदन स्थित किंग्स कॉलेज के शोधछात्र रॉबर्ट डी स्मिथ ने मिलकर किया है। इसमें बताया गया है कि भारत में प्रत्येक 20 वर्ष में कैंसर के मामले दोगुने हो रहे हैं। कैंसर का सबसे ज्यादा खतरा उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और राजस्थान राज्य में है। इसकी वजह ये है कि ये राज्य महामारी के संक्रमण काल से गुजर रहे हैं।
देश में बेहतर नहीं कैंसर इलाज की सुविधा
इस अध्ययन में कहा गया है कि भारत में जिन आठ राज्यों में कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा है, वहां इसके इलाज की सुविधाएं न के बराबर हैं। भारतीय शोधकर्ता मल्लाथ के अनुसार अगर इन राज्यों की मौजूदा स्थिति में जल्द सुधार नहीं हुआ तो स्थिति हमारी उम्मीदों से ज्यादा खतरनाक हो सकती है। इन राज्यों के अलावा भी पूरे देश में कैंसर के इलाज के आधारभूत ढांचे का भारी अभाव है। सरकारी अस्पतालों की स्थिति बहुत खराब होने की वजह से वहां पर्याप्त और बेहतर इलाज संभव नहीं है। निजी अस्पतालों में जो इलाज की सुविधाएं मौजूद भी हैं, वो बहुत महंगी हैं। बहुत से मामलों में देखा गया है कि मध्यम वर्गीय परिवार भी निजी अस्पताल में इस बीमारी का खर्च वहन करने में समर्थ नहीं है।
2040 तक दोगुने हो जाएंगे मामले
अध्ययन में बताया गया है कि वर्ष 2018 में कैंसर के साढ़े ग्यारह (11.5) लाख मामले सामने आए थे और आशंका है कि 2040 में इनकी तादात दोगुनी हो जाएगी। इससे पहले 1999 से 2016 के बीच भी भारत में कैंसर का कुछ ऐसा ही ट्रेंड देखने को मिला था। इन 26 वर्षों में भी भारत में कैंसर से मरने वाले मरीजों की संख्या तकरीबन दोगुनी हुई है।
बढ़ती उम्र प्रमुख वजह है
‘भारत में बढ़ते कैंसर के इतिहास: शुरूआत से 21वीं सदी तक’ (History of the growing burden of Cancer in India: from Activity to 21st Sanctury) शीर्षक में भारतीय शोधकर्ता मल्लाथ ने कहा है कि आयुर्वेद काल से कैंसर की बीमारी मौजूद है। साथ ही उन्होंने उस अवधारणा को भी खारिज किया है, जिसके अनुसार कैंसर पश्चिमी सभ्यता और आधुनिक जीवनशैली की देन है। अध्ययन में कैंसर के लिए इंसानों की बढ़ती औसत आयु को वजह बताया गया है। पहले भी कैंसर पर रिसर्च करने वालों ने बढ़ती उम्र को ही कैंसर की वजह मानी है।
बचाव व प्रतिबंध के बावजूद बढ़ेगा कैंसर
अध्ययन में कहा गया है कि कैंसर से बचाव के उपाय अपनाने के बाद भी देश में कैंसर के मामले बढ़ेंगे। इसकी वजह आम लोगों की आयु बढ़ना है। मसलन अगर सरकार तंबाकू उत्पाद को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर देती है तो लोगों की औसत आयु तकरीबन 10 वर्ष और बढ़ सकती है। इससे महिलाओं में स्तन कैंसर और पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर के मामले और बढ़ेंगे, क्योंकि इसकी मुख्य वजह ही लंबी आयु है। ऐसे में जरूरी है कि सरकार ऐसी व्यवस्था करे जिसमें कैंसर की नियमित जांच, शुरुआती चरण में पहचान और इलाज की सुविधा शामिल हो। बहुत से विशेषज्ञों का ये भी मानना है कि सरकार को निजी अस्पतालों के कैंसर केयर प्रोग्राम पर रोक लगा देनी चाहिए। निजी क्षेत्र में इलाज का खर्च बहुत ज्यादा और बहुत कम लोग ही ये खर्च उठा सकते हैं।
ये हैं कैंसर के प्रमुख प्रकार
लीवर कैंसर – इसकी प्रमुख वजह शराब का सेवन करना है। कई बार कैंसर शरीर के किसी और हिस्से से शुरू होकर लीवर तक पहुंच जाता है।
प्रोस्टेट कैंसर – प्रोस्टेट कैंसर का पता शुरुआती दौर में नहीं चलता और न ही शुरुआती दौर में इसके कोई लक्ष्ण होते हैं। जब तक इसका पता चलता है, ये लाइलाज हो चुका होता है।
कोलन कैंसर – इसे आंत का कैंसर भी कहते हैं। ये ज्यादातर 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में होता है। इसमें आतों में असामान्य रूप से गांठें बनने लगती हैं।
ब्रेन ट्यूमर – इसमें दिमाग की कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं।
ब्लड कैंसर – खून में होने वाला ये कैंसर बहुत खतरनाक माना जाता है।
फेफड़ों का कैंसर – धूम्रपान और प्रदूषित हवा के कारण होने वाला ये सबसे आम कैंसर है। बच्चों में इसका खतरा सबसे ज्यादा होता है।
पैंक्रियास का कैंसर – पेट के पीछे मौजूद पाचक ग्रंथि, जिसे अग्नाशय भी कहते हैं। ये हमारी पूरी पाचन प्रक्रिया को संतुलित करती है।
ब्रेस्ट कैंसर – महिलाओं को स्तन कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा होता है। बढ़ती उम्र के साथ ये खतरा और बढ़ता जाता है।
कैंसर से बचा सकते हैं ये आसान उपाय
फलों का रस – ताजे फलों और ज्यादा मात्रा में सब्जियों का सेवन करने से भी कैंसर का खतरा कम होता है।
अंगूर – अंगूर में पोरंथोसाईंनिडींस की भरपूर मात्रा होती है, जिससे एस्ट्रोजेन के निर्माण में कमी होती है और फेफड़ों के कैंसर के साथ अग्नाशय कैंसर के उपचार में भी लाभ मिलता है।
एलोवेरा – एलोवेरा पैनक्रियाटिक समेत कई तरह के कैंसर से बचाता है। नियमित रूप से इसका सेवन करने से लाभ मिलता है।
सोयाबीन – सोयाबीन के सेवन से अग्नाशय और स्तन कैंसर में फायदा मिलता है।
हल्दी – भारत में इसका इस्तेमाल सदियों से हो रहा है। इसे नैचुरल एंटीसेप्टिक माना जाता है। हल्दी कई तरह की बीमारियों के इलाज में कारगर मानी जाती है। इसमें आठ तरह के कैंसर से लड़ने के गुण होते हैं। हल्दी से फेफड़े, मुंह, यकृत, किडनी, ब्रेस्ट, त्वचा, मलाशय और ल्युकेमिया जैसे कैंसरों को दूर रखने में मददगार होती है।
गाजर – गाजर के जूस में विटामिन A, B, C आदि और पोटैशियम, जिंक, फॉस्फोरस, कैल्शियम जैसे खनिज काफी मात्रा में होते हैं। इससे हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इसमें कैंसर से लड़ने वाले गुण भी पाए जाते हैं।
टमाटर – टमाटर में लिकोपीन नाम का एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है। ये कैंसर रोधी के तौर पर जाना जाता है। इसकी सबसे खास बात ये है कि आप टमाटर का इस्तेमाल सब्जी, चटनी, जूस, सूप या सलाद के तौर पर कर सकते हैं। ये खाने का स्वाद भी बढ़ा देता है।
लहसुन – लहसुन को भी बहुत गुणकारी माना जाता है। इसमें भी कैंसर से लड़ने के गुण होते हैं। लहसून, प्रदूषण से शरीर में बनने वाले जहरीले तत्वों के असर को कम करता है। कैंसर का इलाज करा रहे मरीजों के लिए भी लहसून काफी मददगार साबित हो सकता है।
ब्रोकली – ब्रोकली में सेलेनियम होता है, जिसे मेलेनोमा और प्रोस्टेट कैंसर के इलाज के लिए अच्छा माना जाता है।