देहरादून: नव संवत्सर के उपलक्ष में राइटर्स एराइटर्स एंड जर्नलिस्ट एसोसिएशन (वाजा इंडिया) की उत्तराखंड जर्नलिस्ट एसोसिएशन (वाजा इंडिया) की उत्तराखंड इकाई ने काव्यगोष्ठी का आयोजन किया।
गोष्ठी हास्य्-व्यंग, वीर और श्रृंगार रस की गीत-कविताओं से सराबोर रही। चुनावी राजनीति पर कटाक्ष करते हुए कवि वीरेन्द्र डंगवाल पार्थ ने अपनी रचना सुनाई। उन्होंने पढ़ा कि “वादों की सौगात लेके चेलों की बारात लेके, नई सी औकात लेके आ गए हैं नेता जी”।
तस्मिया अकेडमी इन्दर रोड पर आयोजित गोष्ठी का शुभारम्भ डॉ बसन्ती मठपाल के माँ सरस्वती की वंदना से किया। इसके बाद युवा कवि अवनीश मलासी ने “वतन के वास्ते सपने सलोने तोड़ आया हूं, बनाया था जिसे हमदम उसे भी छोड़ आया हूँ” के माध्यम से देश की सीमा पर तैनात सैनिक के मन की बात कही।
तो शांति प्रकाश जिज्ञासु ने “सोच रहा हूं अबके बरस एक कविता लिख लूंगा मैं छोड़ घमंड गर्व दौलत का एक अच्छा इंसान बनूंगा मैं” सुनाकर वाहवाही लूटी।
लोकेश नवानी ने महिला चेतना पर “हजार साल बाद आज बोलने लगी है लड़कियां” पर अपनी बात कही।
वहीँ कांता घिल्डियाल ने पलायन पर “अर्से बीत गए अरुण निहारे हुए तुम्हारी ललछौंही आभा, बरसों बीत गए दिखी नहीं ढलवां खेतों पर चढ़ती-उतरती धूप” शानदार कविता सुनाई।
इसके साथ ही हेमलता बहन, कविता बिष्ट, डॉ नीलम प्रभा, डॉ अर्चना डिमरी, पल्लवी रस्तोगी, जसवीर सिंह हलधर, रविन्द्र सेठ रवि, डॉ प्रभा जैन, महेंद्र प्रकाशी आदि ने भी काव्यपाठ किया।
गोष्ठी की अध्यक्षता लोकेश नवानी और संचालन राइटर्स एंड जर्नलिस्ट एसोसिएशन (वाजा इंडिया) की उत्तराखंड इकाई के प्रदेश महामन्त्री वीरेन्द्र डंगवाल “पार्थ” ने किया।
इस अवसर पर राइटर्स एंड जर्नलिस्ट एसोसिएशन (वाजा इंडिया) की उत्तराखंड इकाई के प्रदेश कोषाध्यक्ष सोनू फ्रांसिस, आलोक रमन, विवेक कुमार आदि मौजूद थे।