उत्तर प्रदेश की राजनीति के इतिहास में करीब चालीस वर्ष बाद एक ही पार्टी को विधान मंडल के दोनों सदन में बड़ा बहुमत मिलने के बाद भारतीय जनता पार्टी उच्च सदन यानी विधान परिषद में और मजबूत होगी। विधानसभा चुनाव के बाद विधान परिषद के चुनाव में प्रचंड बहुमत पाने वाली भारतीय जनता पार्टी को जल्दी ही तीन और विधान परिषद सदस्य मिलेंगे।
उत्तर प्रदेश विधान मंडल के विधान परिषद में समाजवादी पार्टी अब और कमजोर होगी। समाजवादी पार्टी के तीन मनोनीत विधान परिषद सदस्यों बलवंत सिंह रामूवालिया, जाहिद हसन वसीम बरेलवी और मधुकर जेटली का कार्यकाल आज यानी 28 अप्रैल को समाप्त हो रहा है। माना जा रहा है कि विधान परिषद में मनोनीत कोटे की तीन एमएलसी का कार्यकाल आज समाप्त होने के बाद भाजपा सरकार की ओर से जल्द तीन नए सदस्य मनोनीत करने की संस्तुति होगी।
भारतीय जनता पार्टी का उत्तर प्रदेश विधान परिषद में स्पष्ट बहुमत है। अब भाजपा और मजबूत होती जा रही है। विधानसभा के साथ ही अब विधान परिषद में भाजपा अपने संख्या बल पर कानून पारित करा सकती है। उसको दोनों ही सदनों में किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। उत्तर प्रदेश विधानसभा में सहयोगी दल के साथ 125 सदस्यों वाली समाजवादी पार्टी के अब विधान परिषद में सिर्फ 14 सदस्य ही रहेंगे। इतना ही नहीं समाजवादी पार्टी के मई में तीन सदस्य और कम हो जाएंगे। 26 मई को भी समाजवादी पार्टी के तीन सदस्यों डॉ. राजपाल कश्यप, डॉ. संजय लाठर और अरविंद कुमार का कार्यकाल समाप्त होगा। इनमें संजय लाठर तो विधान परिषद में नेता विरोधी दल भी हैं। इन सभी को राज्यपाल ने मनोनीत किया है।
विधान परिषद में भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों की संख्या अब 66 है। बीते मंगलवार को इनके 33 विधान परिषद सदस्यों ने शपथ ली थी। विधान परिषद की 36 सीटों पर चुनाव में भाजपा ने नौ निर्विरोध सहित 33 पर जीत दर्ज की थी। समाजवादी पार्टी का तो खाता ही नहीं खुला था, जबकि दो सीट निर्दलीय को मिली और एक पर जनसत्ता दल लोकतांत्रिक ने जीत दर्ज की थी। भाजपा के तीन और सदस्य मनोनीत होने के बाद इनकी संख्या सौ सदस्यों में 69 की हो जाएगी।
भाजपा के तीन मंत्री हो सकते हैं मनोनीत : योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री जसवंत सैनी, जेपीएस राठौर, दानिश, नरेन्द्र कश्यप और दयाशंकर मिश्र दयालू किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। माना जा रहा है कि इन तीनों को ही विधान परिषद के लिए मनोनीत किया जाएगा।