देहरादून– यह एक राष्टीय अभियान है जिसे कल 4 अप्रैल को देश भर में महिलाओं के द्वारा आज बिगड़ती जा रही महिलाओं की व देश की सामाजिक राजनैतिक स्थितियों को बदलने के आह्वान के साथ, मनाया जा रहा है l
उत्तराखंड में भी महिलाओं व आम जन की स्थितियां बदहाल है l महिलाओं की अस्मिता व उनके सम्मान को और उन जनमुददों को लेकर जिसके लिए इतनी शहादतें हुई और इतना कुछ सहना पड़ा हैं।
यहां की राज्य सरकारें और य्यसत्ताधारी पार्टियां कितनी असंवेदनशील हैं, यह किसी से छुपा नहीं है l रोज ब रोज जन विरोधी कदम उठाए जा रहे हैं l हालिया अब वनों पर आधारित पर्वत वासियों के जन जीवन को दूभर बनाने का कानून लाने की तैयारी हो रही है l
उत्तराखंड के जल जंगल जमीन को पूंजीपतियों के हाथों देते जाने भर का काम राज्य व केंद्र की सरकारें करते ही जा रही हैं l यह दुखद है कि उत्तराखंड जैसे राज्य में भी आज महिला असुरक्षित होते जा रही है, शराब को ज्यादा से ज्यादा बिकवा कर पैसा कमाने के लिए सरकारें कुछ भी करने को तैयार हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य के नाम पर लूट दिन दूनी रात चौगुनी की दर से बढ़ते ही जा रही है। पंचायतों को, गांव मोहल्ले की सभा के हाथों कोई अधिकार नहीं दिए जा रहे है।
सत्ता का केंद्रीयकरण बढ़ते जाने से चहुं ओर भ्रष्टाचार फैलते जा रहा है । अपनी मनमानी के लिए आज केन्द्र सरकार संवैधानिक संस्थाओं को भी कमजोर करते जा रही है l युवाओं और किसानों की स्थितियां बदहाल होते जा रहीं है। जो राज्य महिलाओं के संघर्ष की देन है, उस राज्य में तक महिलाओं की कोई सुनवाई नहीं है। इसीलिए उत्तराखंड की महिलाएं,व जागरुक सभी लोग महिला मार्च के राष्ट्रव्यापी अभियान को अपना समर्थन दे रहे हैं।
उत्तराखंड की महिलाएं व देश के साथ ही उत्तराखंड के विभिन्न महिला संगठन भी 4 अप्रैल को आयोजित इस राष्ट्र व्यापी महिला मार्च को समर्थन देने 11 बजे देहरादून में गांधी पार्क पहुंचे।
सभी महिलाओं,सभी विभिन्न महिला संगठनो से जुड़ी महिलाओं एवं महिलाओ को व महिला मार्च कार्य क्रम को समर्थन देने वाले सभी पुरुष साथियों से अपील है कि वे समय पर पहुँचें और आने वाले समय में बदलाव विरोधी ताकतों के खिलाफ एकजुट हो कर वर्तमान जन विरोधी ताकतों के खिलाफ महिला एकता को मजबूत करें।
घृणा और हिंसा से भरे मौजूदा वातावरण के ख़िलाफ़ और लोकतान्त्रिक व्यवस्था में एक नागरिक के तौर पर इस मार्च का उद्देश्य देश में महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों को निशाना बनाए जाने के ख़िलाफ़ असंतोष की आवाज़ को एकजुट करना है ।
समाज में हिंसा के परिणामस्वरूप महिलाओं के जीवन पर गहरा असर पड़ा हैं. समाज में भय और असुरक्षा का भाव पैदा किया है।
इन सब स्थितियों को बदलने के लिए एकजुट हों ।