दिल्ली से सटे गाजियाबाद में नंदग्राम स्थित दलित छात्र-छात्राओं के बने छात्रावास को डिटेंशन सेंटर बनाने के निर्णय को शासन ने निरस्त कर दिया है। इस संबंध में बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष और सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती (BSP chief Mayawati,) के ट्वीट के बाद शासन ने यह निर्णय निरस्त कर दिया है। अब यह दलित छात्र-छात्राओं के लिए छात्रावास ही रहेगा। बृहस्पतिवार देर रात शासन ने निर्देश आने के बाद जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेय ने इसकी पुष्टि की है। जिलाधिकारी ने बताया कि शासन ने इस डिटेंशन सेंटर को बनाने के प्रस्ताव को निरस्त कर दिया है। अब यह छात्रावास ही रहेगा। इस तरह नंदग्राम में डिटेंशन सेंटर पर अब पूरी तरह विराम लग गया है।
बता दें कि नंदग्राम में दलित छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग दो आंबेडकर छात्रावास बनाए गए थे। इनकी क्षमता 408 छात्र-छात्राओं की है। इसका उद्घाटन 15 जनवरी, 2011 को हुआ था। पिछले कई साल से महिला छात्रावास बंद है। देखरेख न होने से इसकी इमारत भी जर्जर हो चुकी थी। इस छात्रावास को डिटेंशन सेंटर बनाने के लिए केंद्र सरकार से बजट जारी हुआ था। ठेका मेरठ की एक निर्माण एजेंसी को दिया गया था। इसे प्रदेश का पहला डिटेंशन सेंटर बताया जा रहा था, जहां प्रदेश में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों को रखा जाना था।
क्या है डिटेंशन सेंटर?
इसके तहत अवैध अप्रवासियों (दूसरे देश से आए नागरिक) को रखने के लिए एक तरह की जेल बनाई जाती है, जिसे डिटेंशन सेंटर कहते हैं। द फॉरेनर्स एक्ट, पासपोर्ट एक्ट का उल्लंघन करने वाले विदेशी नागरिकों को तब तक डिटेंशन सेंटर में रखा जाता है, जब तक कि उनका प्रत्यर्पण न हो जाए। डिटेंशन सेंटर के भीतर मानवाधिकारों के मुताबिक, कई तरह की सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं।
यहां हैं डिटेंशन सेंटर
- असम
- दिल्ली
- म्हापसा (गोवा)
- अलवर जेल (राजस्थान)
- अमृतसर जेल (पंजाब)
- बेंगलुरु के पास सोंडेकोप्पा(कर्नाटक)