मुंबई। सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल को खत्म करने से इन्कार कर दिया। लोकपाल व लोकायुक्त के गठन की मांग को लेकर अन्ना हजारे अपने गांव रालेगण सिद्धि में में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हैं। आंदोलन के सातवें दिन मंगलवार को राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस हजारे से मिले। उनके साथ कृषि मंत्री राधा मोहन भी मौजूद थे। इससे पहले सोमवार को केंद्र और राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों के साथ भी उनकी बैठक हुई थी। हालांकि, ये मुलाकातें बेअसर नजर आईं, क्योंकि अन्ना हजारे से साफ तौर पर कहा है कि वे अपनी भूख हड़ताल फिलहाल खत्म करने वाले नहीं हैं। 81 वर्षीय अन्ना हजारे 30 जनवरी से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हैं।
फिलहाल आंदोलन खत्म करने के मूड में नहीं अन्ना!
सरकार को लग रहा था कि हजारे मंगलवार को अपनी हड़ताल खत्म कर देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सोमवार को केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष भामरे और राज्य के जल संरक्षण मंत्री गिरीश महाजन ने हजारे से मुलाकात की और उनसे आंदोलन खत्म करने का अनुरोध किया। भामरे ने कहा कि सरकार ने हजारे को उनकी मांगों को लेकर एक लिखित आश्वासन दिया है। भामरे ने कहा ने कहा, ‘मुझे यकीन है कि वह मंगलवार तक आंदोलन को खत्म कर देंगे।’ हालांकि, फिलहाल आश्वासन के दम पर हजारे अपना आंदोलन खत्म करने वाले नहीं है।
उम्मीद है जल्द अनशन खत्म करेंगे हजारे: फडणवीस
वहीं, अन्ना के आंदोलन पर राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि केंद्र और राज्य ने हजारे की मांगों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘उनकी मांगों के अनुसार, हमने राज्य में लोकायुक्तों के कार्यान्वयन के लिए एक संयुक्त समिति नियुक्त की है। इसी प्रकार केंद्र ने भी लिखित में अपना आश्वासन दिया है। मुझे यकीन है कि वह महाराष्ट्र के लोगों की इच्छा का सम्मान करते हुए वे जल्द से जल्द अनशन खत्म करेंगे। ‘
आश्वासन नहीं, मांगें पूरी चाहिए: अन्ना
हालांकि, हजारे ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह आश्वासन नहीं चाहते हैं, लेकिन यह जरूर चाहते हैं कि उनकी मांगों को पूरा किया जाए। हजारे ने कहा, ‘राज्य सरकार दावा करती रही है कि मेरी 90 फीसद मांगों के साथ सहमति व्यक्त की गई है। क्या मैं मूर्ख हूं, जो 90 फीसद मांगों को पूरा हो जाने के बाद भी उपवास करूंगा? सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने आगे कहा, ‘यह वही राजनीतिक लोग हैं, जिन्होंने मेरी साथ लोकपाल की लड़ाई लड़ी, मेरे आंदोलन से लाभान्वित हुए और सत्ता में आए। अब यह लोग लोकपाल के मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं। मैं तब तक अपना अनशन जारी रखूंगा, जब तक सभी मांगें पूरी नहीं हो जातीं।’
अन्ना में समर्थन में उतरीं शिवसेना-मनसे
इस बीच शिवसेना हजारे के समर्थन में सामने आई और कहा कि सरकार को एक बुजुर्ग इंसान के जीवन के साथ नहीं खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने एक बयान में कहा कि उपवास के बजाय, हजारे को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक आंदोलन का नेतृत्व करना चाहिए और उनकी पार्टी पूरी ईमानदारी के साथ उनका समर्थन करेगी। उधर, मनसे भी हजारे के समर्थन में उतर आई है। मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने सोमवार को हजारे से मुलाकात भी की। बैठक के बाद राज ने कहा कि हजारे को अपना उपवास खत्म कर देना चाहिए और इसके बजाय भाजपा सरकार को आड़े हाथ लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैंने उनसे कहा कि इन लोगों के लिए अपनी जान जोखिम में न डालें।
फडणवीस का शिवसेना पर पलटवार
इस बीच शिवसेना पर फडणवीस ने पलटवार करते हुए कहा, ‘हजारे को समझना चाहिए कि कुछ राजनेता अपने राजनीतिक लाभ के लिए उनका इस्तेमाल कर रहे हैं। कुछ साल पहले तक जो लोग उनकी आलोचना कर रहे थे, वे अपने राजनीतिक लाभ के लिए अब उनका समर्थन कर रहे हैं।
मुझे यकीन है कि अन्नाजी इन रणनीति के शिकार नहीं होंगे।’