लखनऊ। हरदोई में सड़कों के निर्माण में किए गए घोटाले में एक अधीक्षण अभियंता और दो अधिशासी अभियंता सहित 16 अभियंताओं को सरकार ने निलंबित कर दिया है। इन्हें लोक निर्माण विभाग मुख्यालय से संबद्ध कर विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई है।
विभागीय मंत्री होने के नाते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आरोपी अभियंताओं को निलंबित करने के निर्देश दिए थे। मुख्यमंत्री ने बीते माह अक्टूबर में प्रदेश के दस जिलों में बन रही सड़कों की जांच के निर्देश लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को दिए थे। इसके बाद प्रमुख सचिव अजय चौहान की अध्यक्षता में तीन सप्ताह पहले लोक निर्माण विभाग के सलाहकार वीके सिंह और विभागाध्यक्ष योगेश पवार की समिति ने हरदोई में पलिया-लखनऊ राष्ट्रीय मार्ग से रद्देपुर, सकतपुर सांडी, शाहाबाद माार्ग के चौड़ीकरण के कार्य की जांच की गई थी।
इसके साथ ही हरदोई सांडी मार्ग के नवीनीकरण, बेहट मंसूरनगर मार्ग के चौड़ीकरण तथा मझिला से खटेली संपर्क मार्ग की विशेष मरम्मत के कार्यों की जांच में मानकों के अनुरूप सामग्री का इस्तेमाल न करने पर अधीक्षण अभियंता सुभाष चंद्र, अधिशासी अभियंता सुमंत कुमार तथा शरद कुमार मिश्रा को मौके पर ही फटकार लगाई थी।
समिति ने हरदोई में चार नवनिर्मित सड़कों के नमूने लिए थे। लोक निर्माण विभाग की प्रयोगशाला हुई जांच में सभी नमूने फेल पाए गए थे। तारकोल की मात्रा इतनी कम मिली कि सड़क कुछ माह में ही उखड़ जाती। सड़क निर्माण में गिट्टी समेत अन्य सामग्री भी तय मानक से कम प्रयोग की गई थी। जांच रिपोर्ट आने के बाद विभाग ने बीते सप्ताह आरोपित अभियंताओं के विरुद्ध कार्रवाई के लिए शासन को पत्र लिखा था।
इन्हें किया गया सस्पेंड
गुरुवार को मुख्यमंत्री के निर्देश पर तत्कालीन अधीक्षण अभियंता सुभाष चंद्र, अधिशासी अभियंता सुमंत कुमार व शरद कुमार मिश्रा को निलंबित कर दिया गया है। साथ ही निर्माण खंड-1 के सहायक अभियंता राजवीर सिंह, संतोष कुमार पांडे, जीएन सिंह और प्रांतीय खंड के सहायक अभियंता रितेश कटियार व कृष्णकांत मिश्रा को भी निलंबित कर दिया गया है।
इसी मामले में लोक निर्माण विभाग ने आठ अवर अभियंताओं को भी निलंबित किया है। इनमें रुचि गुप्ता, सत्येंद्र कुमार, मकरंद सिंह यादव, मोहम्मद शोएब, राजीव कुमार, अमर सिंह, अवधेश कुमार गुप्ता व वीरेंद्र प्रताप सिंह के नाम शामिल हैं। लोनिवि के विभागाध्यक्ष ने बताया कि नौ अन्य जिलों में भी सड़कों के निर्माण के सैंपल जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजे गए हैं। उसकी रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी।