नई दिल्ली। माइक्रो ब्लागिंग साइट ट्विटर के सह संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) जैक डोरसे इस बार फिर संसदीय समिति के सामने पेश नहीं होंगे। बताया जा रहा है कि कंपनी डोरसे की बजाय 25 फरवरी को सार्वजनिक नीति (Head of Public Policy) मामलों के प्रमुख कोलिन क्राउल को भेज रही है। बता दें कि इससे पहले हुई बैठक में भी ट्विटर के सीईओ जैक डोरसी नहीं पहुंचे थे। तब 11 फरवरी को समिति ने कंपनी के जूनियर अधिकारियों से मिलने से इन्कार कर दिया था और 25 फरवरी को पेश होने के लिए समन जारी किया था।
संसदीय समिति ने ट्विटर के सीईओ समेत अन्य अधिकारियों को पिछली बैठक में बुलाया था, लेकिन उन्होंने इस बैठक में शामिल होने से इन्कार कर दिया था। समिति के चेयरमैन अनुराग ठाकुर ने कहा था कि, ‘हमने ट्विटर के सीईओ को बुलाया था लेकिन वह पेश नहीं हुए और जूनियर अधिकारियों को भेज दिया।’ ठाकुर ने कहा था कि संसदीय समिति ने इसे बेहद गंभीरता से लिया है और अगर वे पेश नहीं होते हैं, तो इसे संसदीय विशेषाधिकारों का हनन समझा जाएगा।
समिति ने एक फरवरी को ट्विटर को पत्र भेजकर सीईओ समेत अन्य अधिकारियों को 11 फरवरी को पेश होने के लिए कहा था। लेकिन डोरसे ने समय कम मिलने की बात कहकर समिति के सामने पेश होने से इन्कार कर दिया था।
बता दें कि यूथ फॉर सोशल मीडिया डेमोक्रेसी (वाईएसएमडी) ने ट्विटर पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए में नई दिल्ली स्थित इसके ऑफिस के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था। 31 जनवरी को अनुराग ठाकुर को सौंपे गए दस्तावेज में वाईएसएमडी ने कहा था, ‘वामपंथी विचारधारा वाले उन खातों के प्रति कोई कार्रवाई नहीं होती है, जो लगातार आक्रामक, गाली गलौच से भरपूर और धमकी वाले पोस्ट करते हैं। जबकि यह ट्विटर के नियमों के खिलाफ होता है।
नागरिकों के अधिकार की सुरक्षा के मुद्दे पर समिति ने समिति ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म को समन किया था। संसदीय कमिटी की अध्यक्षता भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर कर रहे हैं। समिति ने एक फरवरी को ट्विटर को पत्र भेजकर समन जारी किया था। पहले सात फरवरी को बैठक तय थी, लेकिन उसे 11 फरवरी को रखा गया था ताकि ट्विटर के सीईओ समेत कुछ वरिष्ठ अधिकारियों को आने के लिए पर्याप्त समय मिल सके। इसके बाद ट्विटर ने सुनवाई के लिए कम समय मिलने को कारण बताते हुए इन्कार कर दिया था।