देहरादून। उत्तराखंड में स्वाइन फ्लू का कहर थम नहीं रहा है। एक और मरीज की मौत स्वाइन फ्लू से मौत हो गई। इस तरह प्रदेश में स्वाइन फ्लू से अब तक 27 मरीजों की मौत हो चुकी है।
दून निवासी 55 वर्षीय मरीज का श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में इलाज चल रहा था। जहां गत दिवस उनकी मौत हो गई। इधर, शुक्रवार को स्वाइन फ्लू की चपेट में 21 और मरीज आए हैं। इसके बाद स्वाइन फ्लू से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़कर अब 201 पर पहुंच गई है।
मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक स्वाइन फ्लू के सर्वाधिक 149 मामले श्री महंत इंदिरेश अस्पताल में सामने आए हैं। इसके अलावा मैक्स अस्पताल में 23, दून अस्पताल में 12, सिनर्जी अस्पताल में नौ, कैलाश अस्पताल में पांच, हिमालयन अस्पताल में दो और सैन्य अस्पताल में एक मरीज में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है।
कुल मिलाकर दो माह से भी कम के समय में राज्य में स्वाइन फ्लू का आंकड़ा दो सौ के पार पहुंच गया है। उधर, विभागीय अधिकारी लगातार दावा कर रहे हैं कि स्वाइन फ्लू के वायरस की असर कम करने के लिए प्रभावी कदम उठाए गए हैं। सभी सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों को अलर्ट पर रखा गया है। मरीजों के उपचार के लिए अस्पतालों में अलग आइसोलेशन वार्ड बनाए गए हैं। लोगों को को जागरुक करने के लिए भी हर अंतराल बाद एडवाइजरी जारी की जा रही है। लेकिन इन सबके बाद भी स्वाइन फ्लू का कहर थम नहीं रहा है।
स्वाइन फ्लू के लक्षण बौर बचाव की दी जानकारी
राजकीय दून मेडिकल कॉलेज में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के सहयोग से स्वाइन फ्लू को लेकर जागरूक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें रोग के लक्षण, उपचार और रोकथाम की जानकारी दी गई।
कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना ने कहा कि एचवन एनवन रोग को लेकर भ्रामक स्थितियां हैं। समाज में हर सरदर्द, बुखार को लेकर अनावश्यक भय का माहौल पैदा हो रहा है।
डिप्टी डायरेक्टर आइडीएसपी के डॉ. प्रनय वर्मा ने स्वाइन फ्लू पर अलग-अलग राज्यों की स्टेटस रिपोर्ट से अवगत कराया गया। डॉ. अमित सूरी ने उपचार के विभिन्न मॉड्यूल की जानकारी दी। डॉ. रुचिका सक्सेना ने संबंधित जांचों और उनके विश्लेषण पर प्रकाश डाला। डॉ. एसके गुप्ता ने बचाव के उपाय बताए।
डॉ. पंकज सिंह ने उत्तराखंड से संबंधित एनवन एनवन रोगियों के आंकड़ों की जानकारी दी। इस दौरान डॉ. बीएस रावत, डॉ. परवेज अहमद, डॉ. नवीन चंद्र, डॉ. एचएस पांडेय, डॉ.एके श्रीवास्तव, डॉ. यूएस कंडवाल आदि मौजूद रहे।
क्या है स्वाइन फ्लू
स्वाइन फ्लू, इनफ्लुएंजा (फ्लू वायरस) के अपेक्षाकृत नए स्ट्रेन इनफ्लुएंजा वायरस से होने वाला संक्रमण है। इस वायरस को ही एच1 एन1 कहा जाता है। इसे स्वाइन फ्लू इसलिए कहा गया था, क्योंकि सुअर में फ्लू फैलाने वाले इनफ्लुएंजा वायरस से यह मिलता-जुलता था। स्वाइन फ्लू का वायरस तेजी से फैलता है। कई बार यह मरीज के आसपास रहने वाले लोगों और तीमारदारों को भी चपेट में ले लेता है। किसी में स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखें तो उससे कम से कम तीन फीट की दूरी बनाए रखना चाहिए, स्वाइन फ्लू का मरीज जिस चीज का इस्तेमाल करे, उसे भी नहीं छूना चाहिए।
स्वाइन फ्लू के लक्षण
नाक का लगातार बहना, छींक आना कफ, कोल्ड और लगातार खासी मासपेशियों में दर्द या अकडऩ सिर में भयानक दर्द नींद न आना, ज्यादा थकान दवा खाने पर भी बुखार का लगातार बढऩा गले में खराश का लगातार बढ़ते जाना।
ऐसे करें बचाव
स्वाइन फ्लू से बचाव इसे नियंत्रित करने का सबसे प्रभावी उपाय है। इसका उपचार भी मौजूद है। लक्षणों वाले मरीज को आराम, खूब पानी पीना चाहिए। शुरुआत में पैरासिटामॉल जैसी दवाएं बुखार कम करने के लिए दी जाती हैं। बीमारी के बढऩे पर एंटी वायरल दवा ओसेल्टामिविर (टैमी फ्लू) और जानामीविर (रेलेंजा) जैसी दवाओं से स्वाइन फ्लू का इलाज किया जाता है।