एक दिन का वेतन न दिए जाने व लंबित मांगों को लेकर कर्मचारियों ने 12 से आंदोलनकात्मक कार्यक्रम चलाने का लिया निर्णय

देहरादून। सरकार ने आखिरकार महीने के पांच दिन गुजरने के बाद राज्य कर्मचारियों का वेतन जारी कर दिया। हालांकि, अभी वेतन केवल 30 दिन का ही जारी किया गया है। 31 जनवरी का वेतन विभागों से उपस्थिति की स्थिति स्पष्ट होने के बाद ही जारी किया जाएगा। वहीं, एक दिन का वेतन रोके जाने पर उत्तराखंड अधिकारी-कर्मचारी-शिक्षक समन्वय समिति ने इसे निराशाजनक करार दिया है।

समिति ने इसे वित्त मंत्री के साथ हुई वार्ता में मिले आश्वासन का उल्लंघन बताया। कार्मिकों को एक दिन का वेतन न दिए जाने के साथ ही अन्य लंबित मांगों का निराकरण न होने पर 12 से आंदोलनकात्मक कार्यक्रम चलाने का निर्णय लिया गया है। 24 के बाद महारैली और अनिश्चितकालीन हड़ताल की भी चेतावनी दी गई है।

उत्तराखंड अधिकारी-कर्मचारी-शिक्षक समन्वय समिति की आपातकालीन बैठक को देखते हुए शासन ने बीते रोज ही कर्मचारियों का वेतन जारी करने का आश्वासन दिया था। जब कर्मचारियों के खाते में वेतन पहुंचा तो पता चला कि सभी कर्मचारियों का एक दिन का वेतन काटा गया है। भले ही वह सामूहिक अवकाश कार्यक्रम में शामिल रहा हो या नहीं।

सरकार के इस रुख के बाद समन्वय समिति की बैठक हुई। इसमें वक्ताओं ने 31 जनवरी को वित्त मंत्री प्रकाश पंत के साथ हुई बैठक का जिक्र किया, जिसके कार्यवृत में यह स्पष्ट किया गया था कि कर्मचारियों का उत्पीड़न नहीं किया जाएगा। वक्ताओं ने एक दिन के वेतन रोके जाने को इसी से जोड़ा है।

बैठक के बाद समिति की ओर से एक पत्र मुख्यमंत्री को भी प्रेषित किया गया, जिसमें कर्मचारियों का वेतन जारी करने के लिए अधिकारियों को निर्देशित करने का अनुरोध किया गया है। लंबित मांगों के पूरा न होने को लेकर आंदोलन कार्यक्रम भी जारी किया गया है। इसके तहत 12 व 13 फरवरी को कर्मचारी काला फीता बांधकर प्रतीकात्मक विरोध दर्ज करेंगे। 15 फरवरी को शाम कैंडल मार्च निकाला जाएगा। 24 फरवरी को रैली निकालकर जिलाधिकारियों के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किए जाएंगे।

इसके बाद महारैली व अनिश्चितकालीन आंदोलन के संबंध में निर्णय लिया जाएगा। बैठक में संयोजक मंडल में शामिल दीपक जोशी, राकेश जोशी, नवीन कांडपाल, ठाकुर प्रह्लाद सिंह, संतोष रावत व सुनील दत्त कोठारी उपस्थित थे।

मांगों पर कैबिनेट में निर्णय न होने से भड़के कर्मी

कर्मचारियों की मांगों पर वित्त मंत्री के साथ बैठक में बनी सहमति के अनुरूप कैबिनेट की बैठक में निर्णय न होने पर कर्मचारी भड़क गए हैं। साथ ही सामूहिक अवकाश के दिन का वेतन जारी न होने पर यह गुस्सा और बढ़ गया है। सरकार के रवैये को कर्मचारी विरोधी बताते हुए उत्तराखंड अधिकारी-कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति ने फिर से आंदोलन की रणनीति तैयार कर ली है।

इस संबंध में जारी प्रेस बयान में समिति के संयोजक दीपक जोशी ने कहा कि सरकार ने एक दिन का वेतन रोककर कर्मचारियों के सब्र का इम्तिहान लिया है। इसके साथ ही वित्त मंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में मांगों पर कर्मचारियों के साथ जो सहमति बनी थी, कैबिनेट बैठक में उस पर निर्णय न लेकर अपनी कर्मचारी विरोधी मंशा भी जाहिर कर दी है। इस रवैये के खिलाफ अब आंदोलन किया जाएगा।

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