उत्तरकाशी देवता मंत्र के अधीन रहते हैं, मंत्र शक्ति का व्यापक प्रभाव है। शिव पुराण में मंत्रों की साधना व सिद्धि का विशेष उल्लेख किया गया

उत्तरकाशी देवता मंत्र के अधीन रहते हैं, मंत्र शक्ति का व्यापक प्रभाव है। शिव पुराण में मंत्रों की साधना व सिद्धि का विशेष उल्लेख किया गया है। मंत्रों का अनुष्ठान व वाचन ठीक ढंग से किया जाए तो त्वरित फल दिखाई पड़ता है। यह उद्गार कथा व्यास आचार्य दुर्गेश महाराज ने मुस्टिकसौड़ में आयोजित शिव महापुराण में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि महामृत्युंजय जप न केवल आरोग्य प्रदान करता है, बल्कि सभी प्रकार की सिद्धि देता है। महामृत्युंजय का जाप करने से साधक के जीवन में सिद्धि फलित होती हैं। चंद्रमा ने आरोग्य लाभ पाने के लिए 6 करोड़ महामृत्युंजय जप को विधिपूर्वक किया था उनके इस जप के प्रभाव से ही पार्थिव शिवलिंग से भगवान महादेव प्रकट हुए और चंद्रमा को आरोग्य लाभ प्रदान किया। वचन भी दिया कि तुम्हारे द्वारा स्थापित शिवलिंग में मैं सदैव विराजमान रहूंगा। तुम्हारी भक्ति इतनी प्रगाढ़ है कि मेरे नाम के पूर्व तुम्हारा नाम भी जुड़ेगा
इसी शिवलिंग को हम सब विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से जानते हैं। जो हमारे काशी में स्थापित है और कहरि महाराज यज्ञ समिति द्वारा आयोजित शिव महापुराण के समापन के मौके पर कथा दुर्गेश महाराज ने कहा कि सभी प्राणियों का जन्म सृष्टि से हुआ है,सृष्टि के बिना मनुष्य की कल्पना ही नही है लेकिन मनुष्य आज आधुनिकता की दौड़ में उसी सृष्टि को नुकसान पहुँचाने की अज्ञानता वश चेष्टा कर रहा है जिससे आगे चलकर मनुष्य को ही नुकसान होना है अतः मनुष्य को शांति सद्भाव के साथ सृष्टि के प्रत्येक संसाधन को बचाने का प्रयास करना चाहिए और यह सामूहिक रूप से धर्म के साथ ही सम्भव है। साथ ही उन्होंने बताया कि सनातन धर्म मे कई श्लोक ऐसे है जो किसी भी मनुष्य को सफलता एवं सफलता की ओर अग्रसर कर सकते है लेकिन धर्म की तरफ झुकाव लोगो का कम हो रहा है जबकि धर्म के उपदेशों से विश्व शांति प्राप्त की जा सकती है।

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