नई दिल्ली। ICICI Bank case से जुड़े 3,250 करोड़ रुपये ऋण मामले में एफआइआर दर्ज करने वाले सीबीआइ (CBI) अधिकारी का तबादला होने के बाद देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी ने इसे लेकर सफाई दी है। सीबीआइ सूत्रों ने इसे लेकर कहा है कि ICICI Bank case उन महत्वपूर्ण मामलों में से एक है जो काफी लंबे समय बिना किसी प्रगति के लंबित है। पहले इस मामले में प्रारंभिक जांच दर्ज की गई थी जो बाद में एक पंजीकृत मामले (आरसी) में बदल गई।
22 जनवरी को यह मामला दर्ज किया गया और इसके तुरंत बाद जांच का आदेश दे दिया गया। हालांकि, इस छापेमारी के लीक होने को लेकर संदेह होने लगा। इसके बाद इसे लेकर पूछताछ की गई और एसपी सुधांशु धर मिश्रा की भूमिका पर संदेह हुआ इसलिए उनका ट्रांसफर कर दिया गया है। मामले की विस्तृत जांच लंबित है जो मोहित गुप्ता, एसपी (सीबीआइ) की निगरानी में जांच चल रही है।
बता दें कि इस मामले में सीबीआइ ने 22 जनवरी को ICICI Bank की पूर्व एमडी और सीईओ चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर और अन्य के खिलाफ एफआइआर दर्ज किया था , जिसके बाद यह ट्रांसफर हुआ है।
गौरतलब है कि वीडियोकॉन को ICICI BANK की ओर से दिया गया 3250 करोड़ रुपये का लोन आरोप के घेरे में है। आरोप है कि वीडियोकॉन को यह लोन नियमों को दरकिनार कर दिया गया था और इसके एवज में वीडियोकॉन के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत ने नूपावर रिन्युबेल्स में निवेश किया था। सीबीआइ यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि दीपक कोचर की कंपनी में किया गया निवेश रिश्वत के रूप में तो नहीं थी। वैसे बैंक के बोर्ड ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। बोर्ड ने दावा किया है कि वीडियोकॉन को दिया गया लोन सही था और उसमें कोई गड़बड़ी नहीं थी।